मंदिर-मस्जिद को लेकर जो सियासत भारत में होती है उसकी एक झलक आप हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी देख सकते हैं। इन सभी मामलों में पाकिस्तान बिल्कुल भारत की तरह ही है। चाहे बात भ्रष्टाचार की हो या महिलाओं की सुरक्षा की, ये सभी मुद्दे पाकिस्तान में भी उसी तरह से उठते हैं जैसे भारत में। इस बार पाकिस्तान से एक मंदिर की खबर आई है।
खबर ये है कि पेशावर हाई कोर्ट ने पाकिस्तान के एबटाबाद जिले में स्थित एक शिव मंदिर में हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत दे दी है। पिछले 20 सालों से यहां किसी भी तरह की पूजा-अर्चना करने की मनाही थी। भारत में पाकिस्तान की जो छवि बनी हुई है उसको देखते हुए ये फैसला काफी हैरान करता है। एक नजर में देखने से ऐसा लगता है जैसे यहां जितने भी हिंदू हैं वो सब काफी बड़ी परेशानियों से जूझ रहे हैं लेकिन जब इस तरह की खबरें आती हैं तो पता चलता है कि पाकिस्तान में भी कानून सबके लिए है।
मंदिर की जमीन को लेकर यहां काफी समय से विवाद चल रहा था। 2013 में एक हिंदू एनजीओ ने पीएचसी (पेशावर हाई कोर्ट) में याचिका दायर की। उन्होंने कहा कि उन्होंने लीज के माध्यम से मंदिर की जमीन उसके मालिक से खरीद ली है। ऐसे में अब वो मंदिर के मालिक हैं।
याचिकाकर्ता ने ये भी कहा कि विभाजन के बाद से ये एनजीओ ही इस मंदिर की देख-भाल कर रहा है। बालमीकि सभा एनजीओ के अध्यक्ष शाम लाल का कहना है कि ये मंदिर 175 आल पुराना है। जब ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन आया तो इस मंदिर को गोरखा राइफल को दे दिया गया जिससे हिंदू सैनिक यहां पूजा-अर्चना कर सकें। विभाजन के बाद बालमीक सभा ने इस मंदिर का कार्यभार संभाल लिया। लेकिन 1960 में एबोटाबाद के कैंटोनमेंट बोर्ड ने इस मंदिर को सील कर दिया गया।
लाल ने बताया कि 8 साल पहले सीबीए ने मंदिर में पूजा करने की आज्ञा तो दे दी थी लेकिन इसकी जमीन का हक उनको मिलना बाकी था। 2013 में उन्होंने मंदिर को पूरी तरह से अपने कब्जे में लेने के लिए याचिका दायर की जिसमें आखिरकार उनकी जीत हुई। अब इस मंदिर में बेहतर ढंग से पूजा-अर्चना हो सकेगी। देर से ही सही लेकिन पाकिस्तान में भी अल्पसंख्यक हिंदुओं को उनका हक मिल गया। इसके बाद शायद आपके मन में पाकिस्तान की छवि कुछ बेहतर हुई होगी।
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