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चलती ट्रेन की यह घटना है 'थ्री ईडियट्स जैसी', इस कहानी में भी एक 'रणछोड़दास' है

Apoorva Pandey/ firkee.in Updated Tue, 11 Apr 2017 08:23 PM IST
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vipin khadse
vipin khadse - फोटो : scoopwhoop/toi
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अगर आपने थ्री ईडियट्स फिल्म देखी है तो शायद आप उसे कभी भूल नहीं पाएंगे। ये एक ऐसी बॉलीवुड फिल्म है जो न जाने कितनी ही सीखें हमें देती है। एक प्रोफेसर को कैसा होना चाहिए, स्टूडेंट को कैसा होना चाहिए, पेरेंट्स को कैसा होना चाहिए और जीवन को लेकर हम सभी को क्या रवैया अपनाना चाहिए ये सारी बातें ये फिल्म हमें बहुत बेहतर ढंग से समझाती है।

ये सारी बातें एक तरफ और इसका आखिरी सीन एक तरफ। आखिरी में किस तरह आमिर खान मोना सिंह की डिलिवरी करवाता है और खुद को एक अच्छा इंजीनियर और समय पर काम आने वाला व्यक्ति साबित करता है। वो डॉक्टर तो नहीं होता लेकिन करीना की मदद से मोना की जिंदगी बचा लेता है। कुछ इसी तरह का एक मामला छत्तीसगढ़ से सामने आया है।

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24 साल के एमबीबीएस फाइनल इयर के स्टूडेंट विपिन खडसे ने एक मां और उसके बच्चे की जान बचाई है। उस वक्त ये लोग ट्रेन में सफर कर रहे थे। ये सब विपिन ने व्हाट्सऐप पर अपने सीनियर्स की मदद से किया। यहां भी स्किल के साथ-साथ इंटरनेट ने किसी की जान बचाई।

24 साल की चित्रलेखा अपने पति और परिवार वालों के साथ अहमदाबाद-पुरी एक्सप्रेस से रायपुर जा रही थीं। बीच में ही उनको लेबर पेन शुरू हो गया। उनके परिवारवालों ने चैन खींचकर गार्ड और टीटी से मदद मांगी। दिक्कत ये थी कि बड़ा स्टेशन नागपुर जहां इस महिला को मदद मिल पाती, अभी भी 30 किमी दूर था। गार्ड और टीटी ने ट्रेन में घूम-घूम कर पूछना शुरू किया कि क्या ट्रेन में कोई डॉक्टर है एक महिला को मदद चाहिए।

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विपिन पहले तो चुप रहे क्योंकि उन्हें लगा कि शायद कोई अनुभवी डॉक्टर ट्रेन में होगा लेकिन जब गार्ड दोबारा आए तो उन्होंने मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया। लोगों ने कम्पार्टमेंट तुरंत खाली कर दिया और विपिन ने सफल डिलिवरी करवा दी। लेकिन इस बीच एक समस्या आ रही थी जिसको सुलझाने के लिए विपिन ने अपनी सीनिअर शिखा मलिक से मदद मांगी। उन्होंने व्हाट्सऐप की मदद से विपिन को इंस्ट्रक्शन दिए और विपिन उन्हें फॉलो करते गए। आखिरकार सब कुछ ठीक हो गया। विपिन ने कहा कि हर डॉक्टर को डिलिवरी करवानी जरूर आनी चाहिए। 

सभी ने विपिन की बहुत तारीफ की और विपिन फेसबुक पर लिखते हैं कि इस महिला की मदद करने के बाद उन्हें बहुत अच्छा महसूस हो रहा है। उस महिला के परिवारवालों ने उनको 101 रुपए भी दिए जिसे वो कभी नहीं भूल पाएंगे। शायद यही वजह है कि जब कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से परेशान होता है तो उसे भगवान् से पहले डॉक्टर की याद आती है और समाज में इसीलिए डॉक्टर को बहुत सम्मान दिया जाता है। 
 

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