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कल, गुरुवार को मुंबई से एक ख़बर आई थी। वहां एक उत्तर भारतीय ठेले वाले को राज ठाकरे की पार्टी वालों ने मारा- पीटा। उसके ठेले को पलट दिया। वो भी सरे बाज़ार। किसी ने कुछ नहीं कहा और शायद किसी में कुछ कहने की हिम्मत नहीं थी।
पिछले कुछ समय से देश भर में हिन्दू-मुसलमान के नाम पर जो बहस चल रही है। वो भी आप लोग जान ही रहे हैं। बहसें किस गंदे स्तर तक जा रही हैं। लेकिन इन सब के बीच कुछ बेहतरीन भी हो रहा है। पर हम और आप नहीं देखना चाहते हैं, इन चीज़ों को।
मेरठ के एक मौलाना साहब हैं, नाम है महफ़ूज़ उर रहमान शाहीन जमाली। दारुल उलूम देवबंद से पढ़े हुए हैं। लेकिन जब वो मदरसे में बच्चों को पढ़ाते हैं तो उन्हें वो संस्कृत के श्लोक भी बताते हैं। वेदों के श्लोक की भी चर्चा करते हैं।
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मौलाना साहब को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लोग 'मौलान चतुर्वेदी' के नाम से जानते हैं। हिन्दू धर्म में चारो वेदों का पढ़ लेने वाले को, जान लेने वाले को चतुर्वेदी कहा जाता है। इसी से उनके नाम के साथ भी चतुर्वेदी जोड़ दिया गया है।
मौलान साहब कहते हैं, "हमारा संदेश यह है कि ज़्यादा ताक़त की इच्छा से लोगों में दूरी बढ़ती है। लेकिन मानवता के रिश्ते में कोई भेदभाव नहीं है। इसलिए वेदों में मानवता के बारे में कही गई बातों की चर्चा भी मैं करता हूं। और लोगों को एक दूसरे के क़रीब लाने की कोशिश करता हूं"।
और कहते हैं कि सहिष्णुता की समझ के लिए सभी धर्मों की समझ जितनी ज्यादा होगी उतनी बेहतर। इसीलिए वो अपने चेलों को हिन्दू धर्म ग्रंथों के श्लोक भी समझाते हैं।
सुनिए क्या कहते हैं, वीडियो:
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एक सवाल था आपसे...?
क्या मौलाना साहब मुसलमान हो कर भी हिन्दू धर्म ग्रंथों की बात करते हैं, इस वजह से ये महान आदमी हुए?
हम यहीं चूक जाते हैं। एक हिन्दू आदमी कुरआन पढ़ रहा है तो वो महान है। कोई मुसलमान संस्कृत या वेद पढ़ रहा है इसलिए महान है। ये सब ठीक है। लेकिन इससे भी ज़रूरी बात होती है, जो संदेश वो देना चाहते हैं। हमारा ध्यान उस पर कब जाएगा। सोचियेगा, इस बारे में एक बार।
और इन सब के बीच जो लोग मुसलमानों के नाम पर पाकिस्तान जाओ जैसी बातें करते हैं। उनसे सिर्फ़ इतना ही कहना चाहूंगा कि आपको ये समझना होगा। देश के लिए ज्यादा मुश्किल कौन लोग खड़े कर रहे हैं। जाति-धर्म के नाम पर क्राइटेरिया सेट मत कीजिए।
पढ़ते रहिए Firkee.in ज़िंदगी के करीब से गुज़रते हुए।