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25 मार्च 2017 को देश के 51 वर्षों के इतिहास में पहली बार सीमा सुरक्षा बल में एक महिला कॉमबेट ऑफिसर (महिला युद्धाधिकारी) का नाम जुड़ा था। राजस्थान की 25 वर्षीय तनुश्री पारीक को सरहद की निगहबानी के लिए देश के सबसे बड़े अर्ध सैनिक बल में लड़ाकू भूमिका के लिए कमीशन मिला। पंजाब में भारत-पाकिस्तान सीमा पर उनकी तैनाती हुई। खुद गृहमंत्री राजनाथ सिंह असिसटेंट कमांडेंट के पद पर नियुक्त तनुश्री के कंधे पर रैंक स्टार लगाए थे।
इस बात का जिक्र हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वर्षों से स्त्री विमर्शों में मर्दों से हर एक मामले में उनकी बराबरी का मुद्दा छाया रहता है। आज भी पुरुष प्रधान देश की पुरुषवादी मानसिकता में बहुत फर्क नहीं आया है। हम में से ज्यादातर लोग रानी लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगनाओं की वीरगाथा सुन वीर रस से तो भर आते हैं, लेकिन घर की बेटी अगर बेतकल्लुफी से अपनी भावनाएं-मंशा जाहिर करे तो हमें अखर जाता है और हम समाजिक मर्यादा का साधारण उलाहना देकर या उसे डांट डपटकर चुप कर देते हैं।
लेकिन यह भी सच है कि बीएसफ की तनुश्री जैसी लड़कियां न केवल देश का इतिहास, बल्कि पहचान भी बदल रही हैं।
सेना में महिलाओं की स्थिति हमेशा से चर्चा का विषय रही है। महिलाएं अब बंदूक लेकर पुरुषों की तरह सीधे मोर्चा संभालने लगी हैं। उनकी शारीरिक मजबूरियां अब नहीं गिनाई जातीं। आगे की स्लाइड में देखें पूरा वीडियो...