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रियो ओलम्पिक्स खत्म होने के बाद भी ओलम्पिक्स के किस्से थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। अभी बात रियो की नहीं, सन् 2012 में हुए लंदन ओलम्पिक्स की हो रही है। चार साल पहले संपन्न लंदन ओलम्पिक्स अचानक ही तब सुर्खियों में आ गया जब उसमें 60 किलोग्राम वर्ग की कुश्ती में रजत पदक यानी सिल्वर मेडल से नवाज़े गए बेसिक कुदुखोव डोपिंग टेस्ट में फेल पाए गए।
इससे होना ये था कि उनसे उनका मेडल वापस ले लिया जाता और दूसरे खिलाड़ियों की रैंकिंग अपने आप ही एक लेवल ऊपर आ जाती। इसके मुताबिक अपने पहलवान योगेश्वर दत्त को सिल्वर मेडल मिलना सुनिश्चित हो गया। देश फिर से झूम उठा कि रियो में न सही पर इस बार भी देश का बेटा मेडल ला रहा है।
चार बार विश्व चैंपियन और दो बार मेडलिस्ट रहे कुदुखोव का सन् 2013 में कार दुर्घटना में निधन हो गया। उनके पुराने सैंपल्स में वे डोपिंग टेस्ट में फेल पाए गए जिसके बाद WADA (World Anti Doping Agency) ने उनकी रैंकिंग निरस्त कर दी है।
इस पर हमारे पहलवान योगेश्वर दत्त ने कहा है कि
https://twitter.com/DuttYogi/status/770876284721328129
https://twitter.com/DuttYogi/status/770876403424325633
आप जिस चीज़ के लिए जीते-मरते हों उसे इतनी आसानी से जाने देने के लिए हिम्मत और जिगर चाहिए। खेल में स्पोर्ट्समैन स्पिरिट की बात करने वाले लोग भी सारी कूटनीति और दांव-पेंच लगा देते हैं अपनी रैंकिंग सुधारने के लिए। गलाकाट प्रतिस्पर्धा होती है। पर योगेश्वर का दिल दरिया है।
अगर योगेश्वर ये मेडल स्वीकार कर लें तो सुशील कुमार के साथ वो भी पहलवानों की उस सूची में शामिल हो जाएंगे जिन्हें रजत पदक प्राप्त हुआ है। योगेश्वर को खेल से पहले खेल में घुली हुई संवेदना दिखी। और आप पढ़िए, कहने का तरीका उतना हठी भी नहीं है कि - मैं नहीं लूंगा या मैं नहीं ले सकता। उनके शब्दों में विनम्रता कूटकर भरी हुई है। वो कहते हैं कि अगर हो सके तो ये मेडल उनके पास रहने दिया जाए।
खेल प्रतिस्पर्धा है पर दिल से खेलने के लिए और खेल को दिल में पनाह देने के लिए इरादों की फेहरिस्त के साथ-साथ नेकी का होना भी ज़रूरी है। ओलम्पिक्स एसोसिएशन का फैसला जो भी आए। पर हम आपसे बहुत खुश हैं योगेश्वर दत्त।
पूरे हिंदुस्तान को आप पर गर्व है। जियो मेरे शेर!