इस्तेमाल किए गए साबुन से बच्चों का भविष्य बना रही हैं ये महिलाएं, वजह जानकर यकीन नहीं करेंगे आप
टीम फिरकी, नई दिल्ली
Published by:
Pankhuri Singh
Updated Wed, 06 Mar 2019 12:40 PM IST
नहाने के लिए सभी तरह-तरह के साबुनों का इस्तेमाल करते हैं। घर के साबुन का तो पूरा इस्तेमाल हो जाता है लेकिन कभी सोचा है होटल में जो साबुन आपको दिया जाता है उसका इस्तेमाल होने के बाद क्या होता है?
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कुछ औरतें इस्तेमाल किये हुए साबुनों को होटलों से इकठ्ठा करती हैं। दरअसल, हमारे लिए साबुन इस्तेमाल करना आम बात है लेकिन आज भी गरीबी रेखा के नीचे आने वाले लोगों के लिए साबुन जैसी चीज 'लक्जरी आइटम' है। मुंबई का सुंदर नमक एनजीओ, जिसकी संस्थापक एरिन जैकिस हैं। इस एनजीओ का होटलों से करार है।
इन होटलों से जो भी बचा हुआ साबुन निकलता है उसे एनजीओ ले लेती है। जिसके बाद इन साबुनों को प्रोसेस किया जाता है। दरअसल, इनकी ऊपरी परत क्लोरीन वाले पानी से धोकर हटा दी जाती है। फिर इनको छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ दिया जाता है और डिसइंफेक्ट किया जाता है ताकि कोई भी पुरानी गंदगी हो तो हट जाए। उसके बाद साबुन के मिश्रण को खांचे में डाला जाता है।
कॉम्प्रेस करके साबुन को पैक कर दिया जाता है। फिर इसे झुग्गियों और अनाथालयों में बांट दिया जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, सुंदर एनजीओ की संस्थापक 'स्लमडॉग मिलेनियर' देखने के बाद भारत आईं थीं। उन्होंने जब देखा कि बच्चों में साफ सफाई को लेकर कोई जागरूकता नहीं है, तो उन्होंने इस बारे में कुछ करने की सोची।
इस एनजीओ में सिर्फ महिलाएं काम करती हैं। एनजीओ का साफ सफाई और कचरा प्रबंधन की ओर बढ़ाया गया कदम सराहनीय है। साथ ही, इनकी मदद से मूल जरूरतों का सामान उन लोगों तक पहुंच रहा है जिन्हे इसकी जरुरत है।