इस श्राप की वजह से भगवान ब्रह्मा का बना सिर्फ एक ही मंदिर!
Updated Fri, 20 May 2016 04:15 PM IST
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भगवान ब्रह्मा को इस संसार का रचनाकार कहा जाता है लेकिन फिर भी भारत में उनका सिर्फ एक ही मंदिर है। जबकि बाकी सभी देवी-देवताओं के सैकड़ो-हज़ारो मंदिर मौजूद हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री ने उन्हें श्राप दिया था। यही कारण है कि ब्रह्मा जी का देश में एक ही मंदिर है जो कि राजस्थान के प्रसिद्ध तीर्थ पुष्कर में स्थित है। सावित्री ने अपने पति ब्रह्मा को ऐसा श्राप क्यों दिया था इसका वर्णन पद्म पुराण में मिलता है।
ब्रह्मा जी को क्यों दिया गया श्राप
हिन्दू धर्मग्रन्थ पद्म पुराण के अनुसार धरती पर वज्रनाश नामक राक्षस ने उत्पात मचा रखा था। उसके बढ़ते अत्याचारों से तंग आकर ब्रह्मा जी ने उसका वध कर दिया। लेकिन वध करते समय उनके हाथों से तीन जगहों पर कमल का पुष्प गिरा, इन तीनों जगहों पर तीन झीलें बन गई। इस घटना के बाद इस स्थान का नाम पुष्कर पड़ गया औऱ ब्रह्मा ने संसार की भलाई के लिए यहां एक यज्ञ करने का फैसला किया। ब्रह्मा जी यज्ञ करने के लिए पुष्कर पहुंच गए लेकिन उनकी पत्नी सावित्री जी समय पर नहीं पहुंच सकीं। यज्ञ को पूर्ण करने के लिए उनके साथ उनकी पत्नी का होना जरूरी था, लेकिन सावित्री जी के नहीं पहुंचने की वजह से ब्रह्मा जी ने गुर्जर समुदाय की एक कन्या 'गायत्री' से विवाह कर इस यज्ञ को शुरू किया। उसी दौरान देवी सावित्री वहां पहुंची और ब्रह्मा के बगल में दूसरी कन्या को बैठा देख क्रोधित हो गईं।
उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि देवता होने के बावजूद कभी भी उनकी पूजा नहीं होगी। सावित्री के इस रुप को देखकर सभी देवता डर गए। सभी ने सावित्री जी से विनती की कि अपना श्राप वापस ले लीजिए, लेकिन उन्होंने किसा की न सुनी। जब गुस्सा ठंडा हुआ तो सावित्री ने कहा कि इस धरती पर सिर्फ पुष्कर में ही आपकी पूजा होगी। कोई भी आपका मंदिर बनाएगा तो उसका विनाश हो जाएगा।
भगवान विष्णु ने भी इस काम में ब्रह्मा जी की मदद की थी। इसलिए देवी सरस्वती ने विष्णु जी को भी श्राप दिया था कि उन्हें पत्नी से विरह का कष्ट सहन करना पड़ेगा। इसी कारण भगवान विष्णु ने राम के रुप में मानव अवतार लिया और 14 साल के वनवास के दौरान उन्हें पत्नी से अलग रहना पड़ा था।
कोई नहीं जानता कब बना यह मंदिर
ब्रह्मा जी के मंदिर का निर्माण कब हुआ व किसने किया इसका कोई उल्लेख नहीं है। लेकिन ऐसा कहते हैं की आज से तकरीबन एक हजार दो सौ साल पहले अरण्व वंश के एक शासक को एक स्वप्न आया था कि इस जगह पर एक मंदिर है जिसके सही रख-रखाव की जरूरत है। तब उस राजा ने इस मंदिर के पुराने ढांचे को दोबारा जीवित किया।
सावित्री का भी है मंदिर
पुष्कर में सावित्री जी का भी मंदिर है लेकिन वो ब्रह्मा जी के पास न होकर ब्रह्मा जी के मंदिर के पीछे एक पहाड़ी पर स्थित है जहां तक पहुंचने के लिए सैकड़ों सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।
कार्तिक पूर्णिमा पर लगाता है पुष्कर मेला
भगवान ब्रह्मा ने पुष्कर में कार्तिक पूर्णिमा के दिन यज्ञ किया था। यही कारण है कि हर साल अक्टूबर-नवंबर के बीच पड़ने वाली कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर पुष्कर मेला लगता है। मेले के दौरान ब्रह्मा जी के मंदिर में हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं। इन दिनों में भगवान ब्रह्मा की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।
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