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किसी WWE रेसलर से कम नहीं ये भारतीय पहलवान

Rahul Ashiwal Updated Fri, 21 Oct 2016 03:35 PM IST
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द
- फोटो : google
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आमिर खान की दंगल का ट्रेलर तो आ ही चुका है और जल्द ही पहलवानी पर बन रही ये फिल्म भी आने वाली है, जिसका सबको बेसब्री से इंतजार है। दुनिया में रेसलिंग के लिए वैसे तो WWE फेमस है, लेकिन भारत में भी ऐेसे महाबली थे, जो यहां तो मशहूर थे ही साथ ही इन्होंने पूरी दुनिया में भी भारत का नाम रोशन किया है, आइए जानते है इन महारथियों के बारे में।
शायद ही कोई ऐसा भारतीय खेल-प्रेमी हो, जिसने 'रुस्तम-ए-ज़मां' पहलवान का नाम न सुना हो। शारीरिक ताकत के लिए जिस प्रकार आजकल दारा सिंह की मिसाल दी जाती है, इसी प्रकार कुछ समय पहले तक 'गामा पहलवान' का नाम लिया जाता था। 15 अक्टूबर 1910 में गामा को 'विश्व हॅवीवेट चैम्पियनशिप' (दक्षिण एशिया) में विजेता घोषित किया गया। अपने पहलवानी के दौर में गामा की उपलब्धियां इतनी आश्चर्यजनक एवं अविश्वसनीय हैं कि साधारणत: लोगों को विश्वास नहीं होता कि गामा पहलवान वास्तव में हुए थे। गामा को 'शेर-ए-पंजाब', 'रुस्तम-ए-ज़मां' (विश्व केसरी) और 'द ग्रेट गामा' जैसी उपाधियां दी गईं। गामा विश्व के एक मात्र पहलवान थे जिन्होंने अपने जीवन में कोई कुश्ती नहीं हारी। गामा ने भारत का नाम पूरे विश्व में ऊँचा किया। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद जब पाकिस्तान बना तो गामा पाकिस्तान चले गए।

 
पंजाब के गांव धरमूचक में जन्मे दारा सिंह, जिन्होंने अपने समय के बड़े-बड़े पहलवानों को अखाड़े की धूल चटाई थी। 19 नवंबर 1928 को पंजाब के अमृतसर के धरमूचक में पैदा हुए दारा सिंह रंधावा अपने चाहने वालों के बीच दारा सिंह के नाम से मशहूर हुए। सूरत सिंह रंधावा और बलवन्त कौर के बेटे दारा सिंह शुरू से ही पहलवानी के दीवाने थे। अखाड़े में उनकी महारथ से उनकी शोहरत धीरे-धीरे हर तरफ फैलने लगी और शुरुआती दौर में कस्बों और शहरों में अपनी कला का प्रदर्शन करने वाले दारा सिंह ने बाद में अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवानों से मुकाबला किया। रुस्तम-ए-पंजाब और रुस्तम-ए-हिंद पुकारे जाने वाले दारा सिंह बाद में राष्ट्रमंडल खेलों में भी कुश्ती चैंपियन रहे। इसमें उन्होंने कनाडा के चैंपियन जॉर्ज गोडियांको को हराया। इससे पहले वो भारतीय कुश्ती चैंपियनशिप पर कब्जा जमा चुके थे। साल 1968 में उन्होंने विश्व कुश्ती चैंपियनशिप भी जीत ली।
‘खली’ नाम आते ही एक लम्बे-चौड़े, भारी-भरकम इन्सान की छवी आंखों के सामने अपने आप आ जाती है। जिसने अपने देश ही नहीं विदेशों में भी अपने नाम की धूम मचा रखी है। दलीप सिंह राणा उर्फ खली डब्ल्यूडब्ल्यूई में लड़ने वाले पहले भारतीय हैं। एक भीमकाय इंसान जो कभी हिमाचल प्रदेश के खेतों में काम करता था और अब अंतरराष्ट्रीय कुश्ती का चमकता सितारा है। खली सात फीट तीन इंच लंबे हैं और उनका वजन 420 पाउंड है। दलीप सिंह राणा ने डब्ल्यूडब्ल्यूई स्मैक डाउन वर्ल्ड हैवी वेट प्रतियोगिता के 20 मैन फाइट पर कब्जा करने के लिए डब्ल्यूडब्ल्यूई के 20 नामी रैसलरों को रिंग में धूल चटाई। हैवीवेट विश्व चैंपियन बनने के लिए 20 मैन फाइट के अंतिम चरण में चैम्पियन रहे केन और बतिस्ता को रिंग में पछाड़ कर चैम्पियन बने दलीप सिंह राणा उर्फ द ग्रेट खली पर आज पूरे देश को नाज़ है।
भारत के महान कुश्ती प्रशिक्षक (कोच) थे। वे स्वयं भी महान पहलवान थे उन्‍होंने सम्‍पूर्ण विश्‍व में भारतीय कुश्‍ती को महत्त्वपूर्ण स्‍थान दिलाया। उनकी कुश्‍ती के क्षेत्र विशेष में उपलब्धियों के कारण इन्हें सन 1988 में द्रोणाचार्य पुरस्कार और सन 1983 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। कुश्ती का जितना सूक्ष्म ज्ञान उन्हें था शायद ही किसी को हो। भारतीय स्टाइल की कुश्ती के वे माहिर थे, उन्होंने भारतीय स्टाइल और अंतर्राष्ट्रीय स्टाइल का मेल कराकर अनेक एशियाई चैम्पियन दिए। पहलवानों को कुश्ती की गुर सिखाने के लिए उनकी लाठी कुश्ती जगत में मशहूर थी जिसके प्रहार से उन्होंने महाबली सतपाल, करतार सिंह, 1972 के ओलम्पियन प्रेमनाथ, सैफ विजेता वीरेंदर ठाकरान (धीरज पहलवान), सुभाष पहलवान, हंसराम पहलवान जैसे अनगिनत पहलवान कुश्ती की मिसाल बने।

 
भारत के प्रसिद्ध कुश्ती पहलवान हैं। वे 1982 के एशियाई खेलों के स्वर्ण विजेता रह चुके हैं। वर्तमान में सतपाल सिंह दिल्ली में पहलवानों के प्रशिक्षण में संलग्न हैं। 2012 ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार भी उनके शिष्य हैं। सतपाल पहलवान को पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। सतपाल का जादू सिर्फ खेलों में ही नहीं बल्कि भारत के दूर-दराज इलाकों में इस कदर चला कि वो 'महाबली सतपाल' के नाम से मशहूर हो गए।
 

अब महावीर फोगाट के बारे में जानने के लिए तो फिल्म दंगल का इंतजार कीजिए।


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