Home Lifestyle A Boy Became Rich Because Of Facebook

ये लड़का फेसबुक के बल पर अमीर हो गया

Apoorva Pandey/ firkee.in Updated Fri, 17 Mar 2017 01:33 PM IST
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manish bhattacharya
manish bhattacharya - फोटो : storypick
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हार के जीतने वाले को बाज़ीगर कहते हैं और ऐसे ही एक बाज़ीगर हैं मनीष भट्टाचार्य। इनकी कहानी जानने के बाद कोई भी जोश से भर जाएगा। मनीष का परिवार आर्थिक रूप से अधिक सक्षम नहीं था और यही वजह थी कि उन्होंने अपनी बारहवीं की परीक्षा भी एक स्कॉलरशिप की मदद से दी। लेकिन इसके बाद वो आईआईटी में दाख़िला लेना चाहते थे।

उनके 65% नंबर आए थे और पहली बार में वो इस परीक्षा को पास नहीं कर सके। इसके बाद उन्होंने एक साल का ड्रॉप लिया और खुद तैयारी करने लगे। उनके पास कोचिंग लेने के लिए भी पैसे नहीं थे। उन्होंने एक बार फिर प्रयास किया और एक बार फिर उनके इतने नंबर नहीं आ सके कि उन्हें आईआईटी में दाख़िला मिल सके।
 

मनीष के पिता ने उनसे कहा कि उनके पास इंजीनियरिंग करवाने के लिए पैसे नहीं हैं इसलिए वो किसी लोकल कॉलेज से बीएससी कर लें। इसपर मनीष ने कहा कि उन्हें अपनी भी अपने बोर्ड के नंबरों के बल पर कुछ इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाख़िला मिल सकता है। इसपर उनके पिता ने कहा कि पैसे कहां से आएंगे? 

मनीष ने कहा कि उन्हें एजुकेशन लोन मिल जाएगा। इसके बाद मनीष के पिता ने अपने बॉस से 25000 रुपए उधार मांगे। उन पैसों से मनीष ने दिल्ली के एक कॉलेज में अपना नाम लिखवा लिया और बाद में उन्हें लोन भी मिल गया।
 

उसी समय मनीष को फेसबुक के एक फ़ीचर के बारे में पता चला जिसमें लोग वेबसाइट के बग के बारे में उनको बताते थे जिसके बदले में उन्हें पैसे दिए जाते थे। मनीष बताते हैं कि उन्हें ये सीखने में पूरा एक साल लगा। और उसके बाद उन्होंने कुछ बग ढूंढ कर फेसबुक को बता दिए।

फिर एक दिन उनकी ज़िंदगी पूरी तरह से बदल गई।
 

एक दिन मनीष को एक मेल आया जिसमें लिखा था कि फेसबुक उनके काम के लिए $5000 देना चाहता है। भारतीय रुपए के हिसाब से ये रकम 3 लाख थी। मनीष बताते हैं उन्हें उस पूरी रात नींद नहीं आई। उनके या उनके परिवार के अकाउंट में इससे पहले कभी इतने पैसे एक साथ नहीं आए थे।
 

अगले ही दिन ये खबर अखबार में भी आ गई थी और चारों तरफ़ फैल चुकी थी। मनीष उसके बाद जब कॉलेज गए तो उनको लोगों ने बधाई दी। वो कॉलेज में बहुत कम देर ही रुके। चारों तरफ़ सिर्फ़ मनीष की ही चर्चा हो रही थी। इसके बाद मनीष फिर नहीं रुके। उन्होंने उस साल अपना एजुकेशन लोन चुकाया और कई दूसरे क्लाइंट्स के लिए काम भी करने लगे।

मनीष 500 से अधिक वेबसाइट के लिए कम कर चुके हैं और गूगल के बग बाउन्टी प्रोग्राम में 62वें स्थान पर हैं। मनीष की कहानी ये साबित करती है कि अगर कोई चाहे तो मेहनत से अपनी किस्मत खुद लिख सकता है।
 

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