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हम लोग भले ही कितना भी एडवांस क्यों ना हो जाए, कितनी ही आधुनिकता को ना अपना ले, लेकिन हमारी परम्परा और संस्कृति को कभी नहीं भूल सकते और इसी परम्परा और संस्कृति की शानदार छवि हर साल देखने को मिलती है सूरजकुंड के मेले में। सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला, भारत की एवं शिल्पियों की हस्तकला का 15 दिन चलने वाला मेला लोगों को ग्रामीण माहौल और ग्रामीण संस्कृति का परिचय देता है।
सूरजकुंड का यह शानदार मेला हरियाणा राज्य के फरीदाबाद शहर के दिल्ली के पास ही सीमा से लगे ‘सूरजकुंड’ क्षेत्र में हर साल लगता है। यह मेला लगभग ढाई दशक से आयोजित होता आ रहा है। वर्तमान में इस मेले में हस्तशिल्पी और हथकरघा कारीगरों के अलावा विविध अंचलों की वस्त्र परंपरा, लोक कला, लोक व्यंजनों के अतिरिक्त लोक संगीत और लोक नृत्यों का भी संगम होता है।
सूरजकुंड हरियाणा राज्य के फरीदाबाद ज़िले में स्थित एक प्रसिद्ध और प्राचीन जलाशय है। सूरजकुंड में ही प्रसिद्ध शिल्प मेले का हर साल फ़रवरी(1 से 15) में आयोजन किया जाता है। सूरजकुंड, अनगपुर बांध से लगभग 2 किमी की दूरी पर है। फ़रीदाबाद का यह परिसर देखने में बहुत ख़ूबसूरत है। इस मेले में पर्यटक भारतीय शिल्प कला की शानदार कलाकृतियां देख और ख़रीद सकते हैं। इसके पास बड़खल झील और मोर झील है। मेला घूमने के बाद पर्यटक इन झीलों के शानदार दृश्य भी देख सकते हैं।
इस मेले में हर साल किसी एक राज्य को थीम बना कर उसकी कला, संस्कृति, सामाजिक परिवेश और परंपराओं को प्रदर्शित किया जाता है। इस बार झारखंड राज्य की थीम पर ये मेला आयोजित होगा। इस मेले में लगे स्टॉल हर क्षेत्र की कला से परिचित कराते हैं। सार्क देशों एवं थाईलैंड, तजाकिस्तान और मिस्र के कलाशिल्पी भी यहां आते हैं। यहां की कला कृतियां बेहद शानदार होती हैं।
पश्चिम बंगाल और असम के बांस और बेंत की वस्तुएं, पूर्वोत्तर राज्यों के वस्त्र, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश से लोहे व अन्य धातु की वस्तुएं, उड़ीसा एवं तमिलनाडु के अनोखे हस्तशिल्प, मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब और कश्मीर के आकर्षक परिधान और शिल्प, सिक्किम की थंका चित्रकला, मुरादाबाद के पीतल के बर्तन और शो पीस, दक्षिण भारत के रोजवुड और चंदन की लकड़ी के हस्तशिल्प भी यहां प्रदर्शित किए जाते हैं, जो काफी फेमस हैं।
यहां अनेक राज्यों के खास व्यंजनों के साथ ही विदेशी खानपान का स्वाद भी मिलता है। मेला परिसर में चौपाल और नाट्यशाला नामक खुले मंच पर सारे दिन विभिन्न राज्यों के लोक कलाकार अपनी अनूठी प्रस्तुतियों से समा बांधते हैं।
मेले में शाम के समय विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। दर्शक भगोरिया डांस, बीन डांस, बिहू, भांगड़ा, चरकुला डांस, कालबेलिया नृत्य, पंथी नृत्य, संबलपुरी नृत्य और सिद्घी गोमा नृत्य आदि का आनंद लेते हैं। विदेशों की सांस्कृतिक मंडलियां भी प्रस्तुति देती हैं।