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नज़र का चश्मा लगाना आज कल का स्टाइल है बॉस... लेकिन इस चश्मे के पीछे कितना दर्द छुपा है, ये किसी चश्मिश से पूछा है कभी? पढ़ाई के दौरान आपकी क्लास में कोई न कोई दोस्त भी पावर वाले चश्मे लगाता ही होगा लेकिन क्या कभी आपने अपने दोस्त से पूछा है कि उसे चश्मिश होने के कारण क्या-क्या सहना पड़ता है। जानिए अपने चश्मिश दोस्त का दर्द-
डबल बैटरी
आप अपने चश्मिश दोस्त कभी उसके नाम से नहीं बुलाते ना। क्योंकि उसका नामकरण “डबल बैटरी” हो चुका होता है।
बेहद पढ़ाकू
ये पावर वाला चश्मा इसे क्लास में पढ़ाकू साबित कर देता है, चाहे वह शैतानी का बादशाह हो
लड़ाई में दोस्त नहीं ले कर जाते साथ
अगर दोस्तों की कहीं लड़ाई हो जाये तो इस बंदे को साथ नहीं ले जाया जाता क्योंकि इन्हें फट्टू समझा जाता है।
डबल बैटरी होते हैं चालाक
न जाने क्यों दोस्तों का मानना होता है कि ये चश्मिश बड़ा ही चालाक है।
प्यार में भी धोखा
इस मामले में इनके साथ हमेशा ही धोखा होता है क्योंकि ये स्टाइलिश नहीं होते और प्यार का इज़हार नहीं कर पाते। वहीं लड़कियां भी ऐसे लड़कों को सीरियस नहीं लेती।
गर्दन पर वार
आता-जाता कोई भी दोस्त गर्दन पर हाथ मार जाता है।
चार आखों वाला
अगर आप गलती से किसी चीज़ से टकरा गये तो कहा जाता है कि, “चार आखें होने के बाद भी दिखता नहीं है क्या?”
होली खेलने में होती है दिक्कत
आपका चश्मे वाला दोस्त होली खेलते वक़्त कई बार सोचता है, “चश्मा उतारूं या नहीं”।
रोना भी मुसीबत
इस बंदे को चश्मा उतार के रोने के लिए कई बार सोचना पड़ता है
लगती है बड़ी उम्र
ये बंदी अपनी उम्र से 10 साल बड़ी लगती है।