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वक्त के साथ करीब करीब सारी घातक और लाइलाज बीमारियों का इलाज मेडीकल जगत ने ढूंढ़ लिया है। एड्स और कैंसर के इलाज के पर रिचर्स चल रही है। लेकिन हिंदुस्तान में कुछ बीमारियां ऐसी हैं जिनका इलाज डॉक्टर कभी नहीं कर पाएंगे। कमाल की बात ये है कि इन बीमारियां कुछ अंश हर किसी में पाया जाता है। कमाल की बात यह भी है कि इंडिया के लोग इन बीमारियों को बीमारी नहीं मानते हैं। हो सकता है कि आप भी न मानते हों, इसीलिए फिरकी ने ऐसी बीमारियों की लिस्ट बनाई है जिसे पढ़कर आप चाहें तो समय रहते इनका इलाज करें।
इस बीमारी का जन्म स्मार्टफोन के आने के साथ हुआ, लेकिन मौजूदा वक्त में यह बीमारी प्रचंड रूप ले चुकी है। गांव हो या शहर, हर जगह यह बीमारी महामारी की तरह फैल चुकी है। इससे ग्रसित लोग किसी भी सिचुएशन में सेल्फी लेने से नहीं चूकते।
शहरों में मॉल घूमने की बीमारी लगभग हर उम्र के लोगों को होती है। ये लोग खाली घूमने के लिए मॉल चले जाते हैं। लेने देना कुछ नहीं होता, बस घूमकर चले आते हैं।
यह बीमारी अक्सर कंप्यूटर पर जॉब करने वाले ऑफिस कर्मियों को होती है। ये लोग अपने जरूरी सॉफ्टवेयर के साथ एक टैब ऑनलाइन शॉपिंग का खोलकर रखते हैं और टाइम मिलते ही जूतों, ज्वैलरी, कपड़ों से लेकर दुनिया भर की हर चीज पर सरसरी नजर दौड़ा आते हैं। ये लेते कुछ नहीं, लेकिन ऑनलाइन शॉपिंग साइट पर रोजाना घूम आते हैं।
ये बीमारी तो लगभग 100 परसेंट लोगों को होती है। सामान लेना हो या न लेना हो, रेट लेना नहीं भूलते। मुहल्ले की दुकान हो या मॉल, ये लोग हर जगह रेट लेते हैं। रेट लेने की इनकी जिज्ञासा देख कई बार दुकानदार कन्फ्यूज हो जाते हैं कि ये सामान लेंगे या खाली रेट लेंगे। ... लेकिन ये कस्मटर भी ऐसे ढीठ होते हैं कि रेट लेकर चलते बनते हैं। और हां, जगह छोड़ने से पहले ये अपने दिमाग के एनसाइक्लोपीडिया का इस्तेमाल करना नहीं भूलते। ये बता देते हैं कि कौन सा माल कहां कितने में मिल रहा है।
इस बीमारी की जड़ें बहुत गहरी हैं। ज्यादातर ये बीमारी खलिहरों को होती है। खाली बैठे लोग अक्सर महाज्ञानी हो जाते हैं और जैसे ही कोई टॉपिक छिड़ता है, ये पिल पड़ते हैं। कई बार ये अपनी बात मनवाने के लिए हाथापाई तक पर उतारू हो जाते हैं। इन्हें दूसरों के फटे में टांग घुसाने में स्वर्गीय आनंद प्राप्त होता है।
ये लोग बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों, चौराहों पर अक्सर मूंगफली खाते हुए स्वच्छ भारत अभियान की बात करते हैं। इन्हें सबसे ज्यादा देश की चिंता होती है। मोदी और राहुल से नीचे ये बात नहीं करते हैं।
जिस तरह से यहां मुफ्त की हवा, पानी और धूप मिलती है, उसी तरह मुफ्त की सलाह भी यहां हर कदम पर मिलती है। घर हो या दफ्तर, हर जगह इस बीमारी से पीड़ित लोग मिल जाएंगे। कई दफा अजनबी भी आकर आपको मुफ्त की सलाह दे जाते हैं।
इस बीमारी से ग्रसित लोग अपने आप किसी डॉक्टर, हकीम और वैध से कम नहीं समझते हैं। इनमें मेडीकल की डिग्री पैदाइशी इनबिल्ट होती है। इनके बगल कहीं कोई गलती खांस या छीक दें, ये तुरंत उसका घरेलू नुस् खा बता देते हैं।