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आजकल नीरव मोदी बहुत चर्चा में हैं, वही नीरव मोदी जिन्होंने पीएनबी बैंक को 11 हजार करोड़ (कहीं कहीं 13 हजार करोड़) की रकम डकार ली और फुर्र हो गए। आपने इस मुद्दे पर इतनी खबरें पढ़ ली होंगी कि अभी तक दिमाग चक्कर घिन्नी बना हुआ होगा कि असली मामला है क्या? तो चलिए हम आपको सीधे तरीके से समझाते हैं कि ये नीरव मोदी हैं कौन और इन्होंने किस तरीके से इस घोटाले को अंजाम दिया।
-नीरव मोदी का परिवार मूल रूप से गुजरात के सूरत का रहने वाला है, जहां तीस साल पहले नीरव के पिता को हीरे के कारोबार में बड़ा नुकसान हुआ, जिसमें वह दिवालिया हो गए थे। इसके बाद उनका पूरा परिवार बेल्जियम चला गया।
-नीरव की पूरी परवरिश विदेश में ही हुई, अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में फाइनेंस की पढ़ाई के दौरान वह फेल हो गए, जिसके बाद 19 साल की उम्र में उन्हें उनके मामा यानि गीतांजलि ज्वैलर्स के मालिक मेहुल चौकसी के पास भेज दिया गया। यहां उन्होंने ज्वैलरी डिजाइनिंग की बारीकियां सीखी।
-नीरव ने अपने काम की शुरुआत ज्वैलरी डिजाइनर के तौर पर की थी, काम बढ़ा तो उसने अपना प्राॅडक्शन हाउस खोल लिया। जहां हीरो को तराशने और डिजाइन करने का काम मुख्य तौर पर होता था। नीरव ने ये काम इतनी लगन से किया कि हीरों को तराशने में उसे महारत हासिल हो गई।
-उसकी कंपनी में बड़ी बड़ी हस्तियां उसका विज्ञापन करती थी, जिनमें भारत में प्रियंका चोपड़ा, सिद्धार्थ मल्होत्रा, केंट विस्लेंट, डाकोटा जानसन आदि शामिल हैं।
-नीरव ने भारत में शुरुआत में तीन ही स्टोर खोले थे जिनमें पहला मुंबई के काला घोड़ा में दूसरा दिल्ली के चाणक्यपुरी और तीसरा डिफेंस कालोनी में था। हालांकि फिलहाल दुनिया के प्रमुख शहरों न्यूयार्क, लंदन, पेरिस, लास वेगास, हवाई, सिंगापुर और बीजिंग में उसके कुल 16 बड़े स्टोर हैं।
-नीरव मोदी की दो प्रमुख कंपनियां हैं पहली हीरो का कारोबार करने वाली फायरस्टार डायमंड और दूसरी ब्रांड नीरव मोदी, जिसमें वह ज्वैलरी की डिजाइनिंग करता है। उसका यह ब्रांड पूरी दुनिया में फेमस है और तमाम सेलीब्रेटीज उसके डिजाइन की हुई ज्वलैरी पहनती हैं।
-फोर्ब्स के अनुसार उनकी कुल संपत्ति 2.1 अरब डॉलर है, उसे भारत का 84वां और दुनिया का 1234वां सबसे अमीर व्यक्ति चुना गया था।
-कुछ समय पहले नीरव अचानक तब सुर्खियों में आया जब उसकी कंपनी द्वारा डिजाइन किया गया गोलकुंडा के 12.29 कैरेट हीरों का बना एक नेकलेस 22.4
करोड़ में नीलाम हुआ था।
-अब बात घोटाले की करें तो इस सारे घोटाले की नींव टिकी है एलओयू (लैटर ऑफ अंडरटेकिंग) पर, जिसे बैंक अपने विश्वस्त और पुराने ग्राहक को इस बिना पर जारी करते हैं कि वह देश विदेश में कहीं भी हमारी गारंटी पर दूसरे बैंकों से रकम हासिल कर सके।
इसी LoU के मामले में नीरव मोदी ने खेल कर दिया, उन्होंने मुंबई स्थित पीएनबी की कॉरपोरेट ब्रांच के दो अधिकारियों से मिलीभगत कर फर्जी LoU बनाया और स्विफ्ट मैसेज (LoU की जानकारी भेजने की बैंक की अंदरूनी प्रक्रिया) के जरिए दूसरे बैंकों को जानकारी भिजवा दी। बाद में सिस्टम से ये मैसेज डिलीट कर दिए गए।
इसी LoU की बिना पर नीरव मोदी की कंपनी विदेशों में दूसरे बैंकों से कर्ज लेकर अपने विदेशी देनदारों को भुगतान करती रही। कई साल तक यह सिलसिला चला, लेकिन निर्धारित समय पर इस कर्ज का भुगतान कर दिया जाता था तो किसी को कुछ पता नहीं चल सका।
यह सारा भेद तब खुला जब नीरव मोदी की ओर से हांगकांग के एक बैंक का कर्ज निर्धारित समय तक नहीं चुकाया गया, बैंक ने इसकी जानकारी आरबीआई को दी जिस पर आरबीआई ने पीएनबी से जवाब मांगा।
इसी बीच मुंबई की कॉरपोरेट ब्रांच से इन्होंने दोबारा LoU हासिल करने की कोशिश की, लेकिन इस बार पुराने कर्मचारी रिटायर हो चुके थे तो दाल नहीं गली। इन्होंने एक नए कर्मचारी से भी वो ही जुगाड़बाजी करनी चाही लेकिन बात नहीं बन सकी। उल्टे उस कर्मचारी को इन पर शक हुआ तो उसने पुराने खाते खंगालने शुरू किए तो ये भेद खुलता चला गया।
मामला बैंक के शीर्ष अधिकारियों तक पहुंचा तो सबके पैरों तले से जमीन खिसक गई, जिसके बाद आनन फानन में 31 जनवरी को नीरव मोदी, उसकी पत्नी एमी मोदी और मामा मेहुल चौकसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया।