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Lifestyle 8 Habits That Can Make You Rich
अमीर बनना चाहते हैं तो अपने जीवन में शामिल करें ये 8 आदतें
Updated Thu, 15 Sep 2016 08:43 AM IST
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विस्तार
अमीर लोगों को देखकर हर व्यक्ति उनके जैसी ज़िंदगी चाहता है और खुद उस मुकाम पर पहुंचने के सपने देखता है।
अपने पैसे का इस्तेमाल कैसे किया जाए और जीवन में आगे कैसे बढ़ा जाए यही बात और सोच एक अरबपति को एक औसत कमाई वाले व्यक्ति से अलग कर देती है।
‘रिच हैबिट: द डेली सक्सेस ऑफ वेल्थी इंडिविज़िवल’ किताब के लेखक थॉमक कोरले ने इसी बात को आसान तरीके से समझाने की कोशिश की है। कोरले ने बताया कि हर रोज़ की सोच अमीरों को दूसरों से अलग करती है।
कोरले ने अमीर व्यक्तियों (16 लाख डॉलर और उससे ज्यादा की सालाना आय) और गरीब लोगों (35 हजार डॉलर और उससे कम की सालाना आय) दोनों के जीवन पर 5 साल तक अध्ययन किया है।
हम आपको उन बातों के बारे में बता रहे हैं जिससे अमीरों और आम लोगों की सोच का फ़र्क नज़र आता है। कोरले ने ‘रिच हैबिट’ और ‘पॉवर्टी हैबिट’ नाम से दो सेग्मेंट बांट दिए हैं। आइए जानें क्या हैं अमीरों की आदतें जो डालती हैं सबसे ज्यादा प्रभाव।
1. अमीर व्यक्ति हमेशा अपने लक्ष्य पर रखते हैं नज़र!
‘मैं अपने लक्ष्य पर हर रोज़ फोकस करता हूं।’
(62 फीसदी अमीरों ने मानी बात)
(6 फीसदी गरीबों ने मानी बात)
2. वह जानते हैं कि उन्हें आज क्या करना चाहिए!
‘मैं अपने रोज़ाना के काम की लिस्ट तैयार रखता हूं।’
(81 फीसदी अमीरों ने मानी बात)
(19 फीसदी गरीबों ने मानी बात)
3. वह टीवी नहीं देखते
‘मैं प्रतिदिन एक घंटे या उससे कम टीवी देखता हूं।’
(67 फीसदी अमीरों ने मानी बात)
(23 फीसदी गरीबों ने मानी बात)
4 .वह पढ़ते हैं, लेकिन मज़े के लिए नहीं
'मुझे पढ़ना पसंद है...'
(86 फीसदी अमीरों ने मानी बात)
(26 फीसदी गरीबों ने मानी बात)
5. वह ऑडियो बुक सुनते हैं।
‘काम करते समय मैं ऑडियो बुक सुनता हूं।’
(63 फीसदी अमीरों ने मानी बात)
(5 फीसदी गरीबों ने मानी बात)
6. वह ऑफिस में अपने स्तर से ज्यादा काम करते हैं...
‘मैं अपनी नौकरी से ज्यादा काम करता हूं।’
(81 फीसदी अमीरों ने मानी बात)
(17 फीसदी गरीबों ने मानी बात)
7. वह जैकपॉट जीतने की उम्मीद नहीं करते...
‘मैं रोज लॉटरी खेलता हूं।’
(6 फीसदी अमीरों ने मानी बात)
(73 फीसदी गरीबों ने मानी बात)
8. वह अपनी मुस्कान का ध्यान रखते हैं!
‘मैं रोज मुस्कुराता हूं’
(62 फीसदी अमीरों ने मानी बात)
(16 फीसदी गरीबों ने मानी बात)
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