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जानिए आधार कार्ड से लेकर सलमान की शादी तक, भारतीयों के दुख के पांच कारण

टीम फिरकी, नई दिल्ली Updated Thu, 15 Mar 2018 07:53 PM IST
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UN report says indians are more unhappy than pakistanis
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हाल ही में यूएन की एक रिपोर्ट आई है, यूएन समझते हैं ना यूनाइटेड नेशन यानि संयुक्त राष्ट्र संघ यानि सभी देशों का बड़का भैया। उसी भड़के भैया की एक रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि भारत वालों के मुकाबले पाकिस्तान वाले ज्यादा खुश रहते हैं।

मतलब खुशी का जो पैमाना उन्होंने जारी किया है उसमें 156 देशों की लिस्ट में भारत अपने पडोसियों पाकिस्तान और नेपाल से भी पीछे है। भारत को ताजा सूची में 133 वें पायदान पर रखा गया है जबकि पाकिस्तान 75 और नेपाल 101 वे नंबर पर है। यहां तक की छोटा सा देश भूटान भी भारत से ऊपर 97वें नंबर पर है।

भारत के लिए चिंताजनक बात ये है कि वह पिछले साल के मुकाबले 11 पायदान खिसक गया है यानि पिछले साल के मुकाबले भारत के लोग और ज्यादा दुखी हो गए हैं।

इस रिपोर्ट के आने के बाद हमने खूब दिमाग लगाया कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि हर हाल में मस्त रहने वाले भारतीय इतने दुखी हो गए कि यूनाइटेड नेशन तक को उसकी चिंता सताने लगी। तो भाइयों खूब खोजबीन के बाद हमारे दिमाग में कुछ कारण आए, जिनको देखकर लगता है कि भारत वाले इन्हीं के चलते दुखी होंगे। तो आप भी एक बार नजरें इनायत करें उन कारणों पर। 
 
मौजूदा दौर में भारतीयों की सबसे बड़ी टेंशन है आधार कार्ड। बैंक खाते से लेकर मोबाइल फोन तक और सब्सिडी से लेकर एडमिशन तक सरकार हर चीज को आधार से ही अटैच कर रही है। कभी फरमान आता है आधार को इससे जोडों तो कभी उससे जोडों। अब अपन भारतीयों को इतनी आदत कहां कि एक ही काम के पीछे अपना सारा समय खपा दें। तो भइया बड़ी टेंशन तो आधार ही है, पता नहीं सरकार कब किससे इसे जोड़ने का फरमान कर दे। 
 
नोटबंदी से पहले तक जिदंगी कितनी आराम से चल रही थी। बैंक में पैसे हैं नहीं हैं, कितने हैं कहां हैं क्यों हैं कोई चिंता ही नहीं थी। लेकिन नोटबंदी क्या हुई रोज रोज बैंक वालों के भी नखरे शुरू हो गए। कभी पैसे निकालने के नियम बदले जाते तो कभी पैसे डालने के। चिंताएं ऐसी हैं कि खाते में पैसे न हों तो आफत हों तो आफत। अमां यार... आदमी सालभर से इसी में ही अटका हुआ है कि बैंक वाले पता नहीं कब कौन सा नया नियम लें आएं।
देश की एक सबसे बड़ी चिंता तो ये ही है कि अपने सल्लू भाई कब शादी करेंगे। यूं तो उनकी उम्र अब दादा बनने की हो चुकी है लेकिन सल्लू मियां हैं कि खुद दूल्हा बनने के लिए ही तैयार नहीं हैं। उनकी फिल्में जितनी सफलता हासिल करती हैं प्रशंसकों की उम्मीदें उतनी ही जवान होने लगती है कि सल्लू भाई अब तो शादी कर ही लेंगे, लेकिन वो हैं कि मानते ही नहीं। वैसे कभी कभी उनके घोड़ी चढ़ने की खबर आती है तो उनके फैन फूल कर कुप्पा हो जाते हैं लेकिन जल्द ही वह खबर अफवाह निकलती है और उनके अरमानों की हवा निकल जाती है।
देश के लोगों के दुखी होने की एक बड़ी वजह ये ससुरे मोबाइल के सिग्नल भी हैं, जो रह रहकर दर्द देते रहते हैं। कभी कोई माशूका से बात कर रहा होता है तो सिग्नल चले जाते हैं तो कभी कोई बॉस की तारीफ में कसीदे गढ़ रहा होता है कि सिग्नल दगा दे जाते हैं और मामला अटक जाता है। दिनभर लोग इसी पर झल्लाए रहते हैं कि "ये कम्बख्त सिग्नल क्यों नहीं आ रहे"।
कुछ दिनों से अपने देश के लोगों के दुख का कारण एक नई समस्या भी बन रही है। समस्या ये है कि पैसे लेकर फरार होने का मौका सिर्फ बड़े लोगों को ही मिल पाता है, जैसे माल्या जी ने हजारों करोड़ डकारे और निकल गए, नीरव मोदी- राहुल चौकसी भी हजारों करोड़ निपटा कर चलते बने। और एक हम हैं कि बैंक की पांच सौ रुपये की किश्त भी अटक जाए तो उससे ज्यादा की पेनाल्टी लग जाती है। किसान पर अगर दस हजार रुपये भी बकाए के हों तो बैंक वाले पैसे मांगने घर तक पहुंच जाते हैं... अब ये तो अन्याय ही है ना कि सारी सुविधाएं इन अमीरों को ही मिलें गरीबों को कुछ नहीं।
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