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नीरव मोदी का नाम तो आप खूब सुन ही रहे होंगे, बड़े चर्चे हैं उनके नाम के। आजकल पूरा देश उन्हीं में उलझा हुआ है, सरकार ये हिसाब लगाने में जुटी है कि नीरव मोदी ने कितने बैंकों को, कब कब और कितने करोड़ का चूना लगाया है तो आज जनता ये हिसाब लगाने में उलझी हुई है कि कहीं उसकी कलाकारी का असर हमारी सेहत पर तो नहीं पड़ेगा... माने बैंक में जमा रकम पर।
लेकिन इसी सब उलझन के बीच कानपुर में एक कोठारी जी भी नीरव वाली स्टाइल में कई बैंकों को हजारों करोड़ का चूना लगा गए। कोठारी जी से वैसे आप परिचित नहीं होंगे तो हम इनका थोड़ा सा इंट्रो दिए देते हैं, रोटोमैक पैन तो सुना होगा ना आपने... वही 'लिखते लिखते लव हो जाए' वाला। जिसके ऐड अपने सल्लू मियां और रवीना टंडन भी किया करते थे, हां तो वही रोटोमैक वाले कोठारी जी कई बैंकों का हजारों करोड़ डकार कर निकल लिए हैं।
इन 'कोठारीजी' का पूरा नाम विक्रम कोठारी है। कानपुर के रहने वाले कोठारी जी की कंपनी सबसे फेमस रोटोमैक पैन बनाती है। अब 'कोठारीजी' के बारे में सबसे लेटेस्ट इन्फार्मेशन ये है कि 'कोठारीजी' पर शहर के कई बैंकों का 3600 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। वहीं चेक बाउंस का केस भी दर्ज है, जिसमें पुलिस काफी लंबे समय से उनकी तलाश कर रही है। हालांकि यह घोटाला 5 हजार करोड़ तक का बताया जा रहा है।
कानपुर के जाने माने उद्यमी और रोटोमैक ग्रुप के मालिक विक्रम कोठारी सिर्फ इलाहाबाद बैंक के 352 करोड़ रुपये के ही कर्जदार नहीं हैं। इन पर बैंक ऑफ इंडिया का भी करीब 1395 करोड़ रुपये का कर्ज है। विक्रम कोठारी की चार कंपनियों के नाम से शहर की बिरहाना रोड स्थित बैंक ऑफ इंडिया ब्रांच में चार अलग-अलग खाते हैं।
ये सभी खाते वर्ष 2015 में एनपीए (नॉन परफार्मिंग एसेट) हो चुके हैं। बैंक लगातार विक्रम कोठारी और फर्म के डायरेक्टरों से पत्राचार कर रहा है, लेकिन कर्ज की रकम नहीं चुकाई जा रही। बैंक ऑफ इंडिया की ओर से भेजे गए सामान्य नोटिसों का भी जवाब नहीं दिया जा रहा है। उनके बारे में ताजा खबर ये है कि वह फिलहाल वह लापता हैं, कहां हैं किसी को पता नहीं है।