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उत्तराखंड के घोड़े-खच्चरों को पहनना होगा डायपर! लेकिन लोटा लेकर बाहर जाने वाले इंसानों का क्या?

Apoorva Pandey/ firkee.in Updated Thu, 25 May 2017 05:05 PM IST
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mule - फोटो : hindustan times
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अगर आप देखें तो आपको लगेगा जैसे उन्होंने सड़क पर लगाई जाने वाली झाडू पहली बार देखी है। खैर यह तो एक बात हो गई। अगर आपसे यह पूछा जाए कि इ देश में सबसे ज्यादा गंदगी कौन फैलाता है तो आप किसका नाम लेंगे? शायद अपनी पड़ोस वाली आंटी का जो बड़े आराम से अपने घर का कचरा बालकनी से नीचे सड़क को दिखा देती हैं। 

या फिर आप उस चाय वाले का नाम ले सकते हैं जो अपनी दुकान का सारा कचरा पार्क के किसी कोने में फेंक आता है। लेकिन ऐसा नहीं है, इस धरती पर सबसे ज्यादा कचरा फैलाते हैं जानवर। जी हां, उन्हें बिल्कुल भी मैनर्स नहीं होते। जहां देखो वहां पर गंदगी फैला देते हैं। शौचालय का इस्तेमाल नहीं करते। उनको क्या पता कि उनकी वजह से कितने ही लोगों को परेशानी होती है। अब कल की ही बात है, पप्पू सुबह-सुबह सड़क के किनारे बैठा था लोटा लेकर। तभी वहां एक गाय आई और उसको डिस्टर्ब कर दिया। बताइए यह भी कोई बात हुई? पप्पू की जगह पर उस गाय को आने की क्या जरूरत थी? उसको शौचालय का प्रयोग करना चाहिए था न!
 

जानवरों की इसी शर्मनाक हरकत की वजह से अब उत्तराखंड सरकार ने इस ओर एक बड़ा कदम उठाया है। उसने यह तय किया है कि अब सारे घोड़े और खच्चरों को डायपर पहनना होगा। इसके बगैर वो अपनी नौकरी नहीं कर पाएंगे। उनके लिए खासतौर पर पुफ बैग तैयार किए जा रहे हैं। इंसानों ने इन घोड़े और खच्चरों की शिकायत कर दी है। उन्होंने कहा है कि यह सब यमुनोत्री के रास्तों को गंदा कर देते हैं और वहां गंदगी और बदबू की वजह से चलना दूभर हो जाता है।

ऐसे में अधिकारियों ने करीब 2500 डायपर तैयार करने का फरमान जारी कर दिया है। यह सभी घोड़ा मालिकों को किराय पर लेने होंगे और इसके लिए उन्हें 200 रुपये की सेक्योरिटी मनी भी देनी होगी जो उन्हें सीजन के अंत में बैग वापस करने पर मिलेगी।
 

इस खबर के बाद से ही सारे घोड़े और खच्चर काफी गुस्से में हैं। उनका कहना है कि उन्हें भी इंसानों की तरह नील गगन के तले, आराम से खुली हवा में जाने की आदत है। ऐसे में उनपर ऐसा बंधन लगाने का क्या मतलब हुआ? उनका कहना है कि कई बार वो खुद पर कंट्रोल नहीं कर पाते क्योंकि उनके ऊपर बर्गर-पिज्जा खाए हुए मोटे-मोटे इंसान बैठ जाते हैं। आखिर आदमी भी खुद को कहां रोक पाते हैं, वो भी तो किसी भी दीवार को बिना सोचे-समझे गंदा कर देते हैं। 

घोड़े और खच्चरों ने इस अन्याय के खिलाफ मिलकर आवाज उठाने का निर्णय लिया है। वो जल्द ही जंतर-मंतर की और कूच करने वाले हैं। वो कह रहे हैं कि हम जानवर हैं तो हमारे साथ भेद-भाव हो रहा है और यह शोषण वो कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। उनकी मांग है कि प्रशासन को उन सभी इंसानों को भी पुफ बैग पहनने के लिए बाध्य करना होगा जो कहीं भी लोटा लेकर पहुंच जाते हैं। जब तक ऐसा नहीं किया जाएगा, वो पुफ बैग नहीं पहनेंगे।
 

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