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कशिश! तुम्हारे पीछे कोई बड़ा नाम नहीं, क्या तुम घर नहीं आओगी?

Updated Sat, 18 Jun 2016 01:18 PM IST
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विस्तार

चार साल की कशिश रावत, कोई बहुत बड़ा नाम नहीं है। अगर पिछले 10-12 दिनों में नोएडा आएं हों और ऑटो पर ध्यान गया हो तो शायद आपने उनके पीछे लगे पर्चे जरूर देखे होंगे।

 

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कशिश नोएडा में रहती थी, सैक्टर 22 में। 12 मई 2016 को खेलने के लिए बाहर गई कशिश लौटकर घर पर नहीं आई। गायब हुई बच्ची के माता पिता परेशान हो कर उसे ढूंढने लगे। थक-हार कर जब कोई पता न चला तो उन्होंने पुलिस में रिपोर्ट की। वही उत्तर प्रदेश की पुलिस जिसने स्नैपडील से गायब हुई दीप्ती सरना का पता 24 घंटे से कम में ही लगा लिया, जो सिर्फ़ 36 घंटों में ही अपने घर पहुंच गई।   5-kidnapping वहीं दूसरी तरफ नजर डालें तो कशिश 12 मई से गायब है। एक महीने से ज्यादा हो गए। कशिश के माता-पिता की मानें तो पुलिस ने रिपोर्ट तो 12 मई को ही दर्ज कर ली, मगर कार्यवाही अगले दिन 2 बजे से शुरु की। इसपर हमारा सोशल मीडिया भी सो गया है। दीप्ती के गायब होते ही फेसबुक-ट्विटर जैसे सोशल मीडिया पर स्टेटस की बाढ़-सी आ गई थी। मीडिया ने एक ही दिन में उसे इतनी तवज्जो दी, जितनी शायद नॉर्थ-ईस्ट से जुड़े मामलों को पूरे महीने में नहीं मिलती। हो भी क्यों न... दीप्ती के पीछे बड़ी कंपनी थी। कोई आशिक था.. कोई जूनूनी था, जो उससे प्यार करता था। लगभग पूरा मसाला था खबर में।     4-kidnapping

मगर कशिश.. कशिश के पीछे कोई बड़ा नाम नहीं। उसके माता पिता उससे इतना प्यार भी नहीं करते कि 2000 से ज्यादा पोस्टर्स छपवा कर लगा सकें।

  कशिश की तरह दिल्ली-एनसीआर में हर साल लगभग 7000 बच्चे गायब होते हैं, जिनका कुछ पता नहीं चलता। यानी हर साल करीब 14000 माँ-बाप ऐसे ‘उभर’ कर सामने आते हैं जो अपने बच्चों से ‘प्यार’ नहीं करते या उनके पीछे कोई बड़ी कंपनी नहीं होती। यह आंकड़ा सिर्फ़ दिल्ली का है... जो एक शहर है, राज्य भी नहीं। अव्वल नंबर पर महाराष्ट्र है, मगर वो दिल्ली के हिसाब से बहुत बड़ा है। इस रेस में दिल्ली सेकेंड है।   1-kiddnapping
हमारे कहने से बहुत बड़ा फ़र्क नहीं पड़ेगा। दीप्ती मिल गई और कशिश अब भी गायब है। 1-2 महीने और भी बढ़ सकते हैं। या शायद अब वो कभी न आए, ऐसा भी हो सकता है। मगर दीप्ती और कशिश में एक चीज़ कॉमन है.. दोनों लड़कियां हैं। दीप्ती का फोन खुद आ गया, मगर कशिश को तो शायद घर का नंबर भी न मालूम हो। कशिश तुम अलग हो... क्योंकि तुम किसी कंपनी से नहीं, क्योंकि शायद तुम्हें ढूंढने के लिए पुलिस के पास वक्त नहीं। हो सके तो दीप्ती के तरह तुम भी लौट आना... हम भी उम्मीद करते हैं कि तुम खुद ही लौट आओगी।

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