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मेरठ का प्रवीण या जैश-ए-मोहम्मद का "आतंकवादी" आबिद उर्फ़ फत्ते

Updated Mon, 25 Jul 2016 11:57 AM IST
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मेरठ का प्रवीण या जैश-ए-मोहम्मद का "आतंकवादी" आबिद उर्फ़ फत्ते
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6 जुलाई 2006 को यानी आज से दस साल पहले मेरठ के एक घर में कुछ पुलिस वाले आते हैं, वो उस घर के बड़े बेटे प्रवीण को ये कहकर साथ ले जाते हैं कि वो कुछ काम से उसे ले जा रहे हैं। प्रवीण पेशे से ड्राईवर था। पर उस दिन का गया वो कभी दोबारा लौट कर नहीं आया। एक मां, एक पत्नी और एक भाई प्रवीण का सालों से इंतज़ार कर रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले ही इस परिवार ने कुछ लोगों की तस्वीरें देखीं जिन्हें आतंकवादियों के रूप में यूपी पुलिस ने पकड़ा था। अख़बार में उस तस्वीर को देखते ही उन सबके होश उड़ गए, क्योंकि परिवारवालों की मानें तो उनमें से एक व्यक्ति मुहम्मद आबिद असल में उनका बेटा प्रवीण है।

साभार: indian express

सुन कर हैरानी होती है न पर मामला कुछ ऐसा ही है। प्रवीण की पत्नी प्रभा कहती हैं कि आज भी उन्हें वो दिन याद है जब सिविल ड्रेस में कुछ पुलिस वाले अपने साथ प्रवीण को ये कह कर ले गए कि वो उसे अपने साथ किसी असाइंमेंट पर लेकर जा रहे हैं। प्रवीण पेशे से ड्राईवर था। जब प्रवीण उस रात घर नहीं लौटा तो परिवार वाले पुलिस के पास गए और पुलिस ने उनको बताया कि वो एनकाउंटर में मारा गया। वो एक आतंकवादी था। अगले ही दिन एक पड़ोसी अखबार लेकर उनके पास आया और एक ख़बर दिखाते हुए बोला कि पुलिस ने एनकाउंटर में 5 आतंकवादियों को मार गिराया है और उनमें से एक कंकड़ खेड़ा का प्रवीण हो सकता है।

जब घरवाले बॉडी की पहचान करने गए तो उनमें से कोई भी प्रवीण नहीं था। फिर पुलिस ने कहा कि असल में आतंकवादियों की संख्या 6 थी जिसमें से एक भाग निकला और वो प्रवीण हो सकता है। उसके बाद से ये परिवार रोज़ सारे बड़े अखबार मंगाता है कि शायद कहीं से कोई ख़बर उनके बेटे की आ जाए। 1 जुलाई 2016 को एक पड़ोसी अमित एक अखबार लेकर आया जिसमें एक और तस्वीर निकली थी। इस तस्वीर को देखते ही प्रवीण की माँ महेश को फिर से एक आशा की किरण दिखाई दी। उन्होंने तुरंत लखनऊ पुलिस से संपर्क किया और वो वहां आबिद से मिलने गईं।

साभार: indian express

महेश ने कहा कि वो उनकी तरफ मुस्कुराते हुए आया, और उनके सच पूछने पर आँखों में आंसू के साथ उसने न में सिर हिलाया। महेश कहती हैं कि एक माँ से सच छुप नहीं सकता। वो कहती हैं कि प्रवीण के शरीर पर तीन निशान थे जिनमें से उसके नाम का टैटू गायब है पर बाकि 2 चोट के निशान वैसे के वैसे हैं। वो आबिद के साथ करीब 50 मिनट तक रहे। एक एनजीओ है "रिहाई मार्च" उसके शाहनवाज़ आलम इस परिवार की मदद कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस पूरे मामले में बहुत-सी कमियां दिखाई दे रही हैं। आबिद ने महेश के परिवार से कहा कि उसको गाज़ियाबाद में पकड़ा गया जबकि एसटीएफ़ ने उसकी गिरफ्तारी लखनऊ से दिखा रखी है।

प्रभा 32, बात करने के साथ फूट-फूट कर रोती हैं। वो कहती हैं कि उनकी माँ ने उनपर जोर डाला कि वो दूसरी शादी कर लें पर वो इनकार करती रहीं। प्रवीण के छोटे भाई पवन कहते हैं कि 6 साल पहले परिवार के दबाव में दोनों की शादी मंदिर में करा दी गई। उनका 5 साल का एक बेटा भी है। इस परिवार के ऊपर जो पहाड़ टूट पड़ा है उसकी सुध न जाने इस देश की सरकार कब लेगी।

साभार: indian express


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