विस्तार
'यम्मा यम्मा, यम्मा यम्मा, ये खूबसूरत समां,
बस आज की रात है ज़िंदगी, कल हम कहां तुम कहां'
? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? -आनंद बख्शी
ये लाइनें है 1980 में आई फिल्म शान की। और ये बिल्कुल फिट बैठती हैं उस आदमी के लिए जिसने इस गाने को संगीत दिया था। आर.डी. बर्मन। पंचम दा। वो आदमी जिसने हिंदुस्तान को नाचना-झूमना सिखाया। अपनी म्युज़िक के दम पर।
1960 से ले कर 1990 तक जितने भी गाने आपको पसंद आते हों। उठा लो। और चेक करो, गाने को म्युज़िक किसने दिया था। आधे से ज्यादा गाने ऐसे होंगे जिसे आर. डी. बर्मन ने म्युज़िक दिया होगा।
जैसे उदाहरण के लिए लें, महबूबा-महबूबा, मेरे नैना सावन भादो, चुरा लिया है तुमने जो दिल को, दिल लेना खेल है दिलदार का, ओ माझी रे। मतलब लिस्ट बनाऊंगा तो वही बनाता रह जाऊंगा। और लगभग हर उम्र के लोगों के लिए गाने। चाहे नाचने गाने की बात हो या फिर अकेले में कोई गाना सुन कर शान्ति से बैठने का मन हो।
आर. डी. बर्मन के म्युज़िक का हिसाब ऐसा था कि उस जमाने के कई ऐसे डायरेक्टर थे जो आंख मूंद कर सीधे पंचम दा के पास पहुंच जाते थे। लेकिन बॉलीवुड इस मामले में जितना उदार रहा है। उतना ही निर्मम भी।
80 के दशक में जब और भी नये-नये म्युज़िक डायरेक्टर बॉलीवुड में आ गए। तब पंचम दा का ग्राफ थोड़ा गिरने लगा। कई डायरेक्टर्स ने उनसे अपना पल्ला झाड़ लिया।
ये सब चला कोई 1985 तक। जब फिल्म आई थी इजाज़त। लेकिन इसके बाद भी पंचम दा को बहुत काम नहीं मिल रहे थे। या जो मिले भी तो वो इतने फेमस नहीं हो पाए।
[caption id="attachment_34167" align="alignnone" width="670"]
source[/caption]
ये सब चल रहा था। लेकिन एक प्रोडूसर-डायरेक्टर ऐसा था। जिसका अब भी भरोसा बना हुआ था। आर. डी. बर्मन पर। वो थे, विधु विनोद चोपड़ा।
1989 में उनकी एक फिल्म आई थी, परिंदा। जिसके लिए उन्होंने आर। डी। बर्मन को म्युज़िक के लिए कहा। फिल्म बनी, गाने भी बने। और गाने ठीक-ठाक चले। मतलब लोगों ने भी पसंद किया और इंडस्ट्री में भी काफी तारीफ मिली।
[caption id="attachment_34168" align="alignnone" width="670"]
source[/caption]
लेकिन ये आर. डी. बर्मन की वापसी नहीं करवा सका। फिर 1994 में एक फिल्म आई। फिल्म का नाम था 1942-अ लव स्टोरी। और इसने धमाका कर दिया।
लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। बताएंगे आगे की कहानी। पहले इस फिल्म का एक गाना सुनते हैं जो कि जबरदस्त हिट हुई थी। आज भी कभी बजा दें तो ऐसा लगता है फिजाओं में मोहब्बत गूंजने लगती है।
वीडियो गाना:
गाना है: एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
गाया है: कुमार सानु ने
म्युज़िक है: आर. डी. बर्मन का
और लिरिक्स: स्वयं जावेद अख्तर साहब का दिया हुआ
https://youtu.be/hIo1HscTjP0
ये फिल्म रिलीज़ हुई और इसके सारे गाने हिट हुए। मतलब लोगों को समझ आ गया था कि 'पंचम' अभी बाकी है। लेकिन तब तक पंचम दा, इस दुनिया को अलविदा कह चुके थे। मरने के बाद उन्हें इस फिल्म के लिए उस साल का फिल्म फेयर अवार्ड दिया गया था। बेस्ट म्युज़िक केटेगरी में।
और आज पंचम दा के कंपोज़ किये, तैयार किये गानों की ये हालत है कि आज के म्युज़िक डायरेक्टर कोई गाना बनाते हैं तो उनको श्रद्धांजलि देते फिरते हैं। आज उनके नाम से म्युज़िक के अवॉर्ड बांटे जा रहे हैं। वही बात हमने कहा था ना, ये बॉलीवुड इंडस्ट्री जितनी उदार रही है उतनी ही निर्मम भी रही है।
वैसे इस गाने का एक और वर्ज़न है। वो भी सुना जा सकता है।
ये रहा वीडियो:
https://youtu.be/_AYGm7FOB5I
आज के लिए मेलोडी मंगलवार में इतना ही। फिर मुलाकात होगी अगले मंगलवार किसी और गाने और किस्से के साथ।
तब तक पढ़ते रहिये Firkee.in, यहां किस्से आते रहेंगे।