मदर टेरेसा को आप किस रूप में याद रखते हैं। एक ऐसा इंसान जिसने अपने स्नेह से गरीब और बीमार लोगों की निस्वार्थ रूप से मदद की। इस दुनिया में क्रूर लोगों की एक बहुत लम्बी फेहरिस्त है पर मदर टेरेसा जैसे लोग कम ही हैं शायद इसीलिए इन्हें हम आज तक याद रखते हैं। जिस समय भारत के कुछ हिस्से बीमारी और भुखमरी से बुरी तरह प्रभावित थे और इन लोगों की शायद कोई आम भारतीय मदद भी नहीं करना चाहता था, उस समय ये एक महान आत्मा के रूप में उन लोगों के जीवन में आईं और सबके लिए एक उदाहरण स्थापित कर के गईं। आज मदर टेरेसा का जन्मदिन है। और आज के दिन आईए हम आपको मदर टेरेसा के थोड़ा और करीब लेकर जाते हैं।
केवल 10 पॉइंट में जानिए मदर टेरेसा आखिर थीं कौन और वो भारत में क्या स्थान रखती हैं।
2. जब वो मात्र 18 वर्ष की थीं तब उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और आयरलैंड में 'Sisters of Loreto in Rathfarnham' से जुड़ गईं और इसके बाद वो दुबारा अपने परिवार से फिर कभी नहीं मिलीं।
3. आयरलैंड में 1 साल बिताने के बाद वो 'Sisters of Loreto convent', Darjeeling आ गईं।
4. 1931 में वो नन बन गईं और उन्होंने अपना नाम टेरेसा चुना जो कि ऑस्ट्रेलिया और स्पेन के 'Saint Therese of Lisieux and Teresa of Avila' से प्रेरित था और उनको श्रद्दांजलि देते हुए रखा गया था।
5. उन्होंने 15 सालों तक 'St. Mary's High School', Kolkata में इतिहास और भूगोल पढ़ाया पर वो गरीब लोगों की बुरी हालत देखकर बहुत ही दुखी हो जाती थीं। 1946 में दार्जिलिंग जाते हुए उनके मन में एक आवाज़ उभरी जो ऊपरवाले की थी। इस बारे में वो कहती थीं कि "I heard the call to give up all and follow Christ into the slums to serve Him among the poorest of the poor"।
6. 1948 में उन्होंने स्लम में जाकर पूरी तरह से गरीबों की सेवा में समर्पित होने का निर्णय लिया।
7. 1950 में उन्होंने "The Missionaries of Charity" की स्थापना की जो एक रोमन कैथोलिक संस्था थी। ये संस्था गरीब, बीमार, दिव्यांग सहित उन सभी लोगों की मदद करती थी जिसे समाज ने नकार दिया था।
8. मदर टेरेसा को पद्म श्री सहित और भी कई पुरस्कारों से नवाज़ा गया जिनमें inaugural Pope John XXIII Peace Prize, Albania’s Golden Honour of the Nation और Nobel Peace Prize शामिल हैं।
9. मदर टेरेसा ने अपने नोबेल पुरस्कार की धनराशि जो कि $192,000 थी, लेने से इनकार कर दिया और सारे पैसे भारतीय गरीबों में दान कर दिए।
10. रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा इन्हें पिछले सालों में संत की उपाधि दी गई है. और साथ ही इन्हें 'Blessed Teresa of Calcutta' पुकारा जाता है।
5 सितंबर 1997 में इनका देहांत हो गया। इनके जैसे लोग इस दुनिया में शायद अब नहीं मिलते या स्थितियां ऐसी कुछ ऐसी हैं कि हमारे अन्दर दया भाव अब पनप ही नहीं पाता। अगर हर कोई 1% भी मदर टेरेसा की दिए पथ पर चलने लगे तो शायद ये दुनिया थोड़ी बेहतर हो जाएगी। अगर आज मदर टेरेसा जीवित होतीं तो 106 वर्ष की होतीं और आज भी वो लोगों की सेवा कर रही होतीं जैसे उन्होंने अपनी आखिरी सांस तक किया।