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85 Years Old Narayan Rao Dabhadkar Gave Up His Bed And Life To Save Another Person
मैंने अपनी जिंदगी जी ली है, मेरा कर्तव्य है दूसरों की जान बचाना कहकर बुजुर्ग ने छोड़ा अपना बेड, तीन दिन बाद हुआ निधन
टीम फिरकी, नई दिल्ली
Published by: संकल्प सिंह
Updated Wed, 28 Apr 2021 12:51 PM IST
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नारायण राव दाभाडकर
- फोटो : twitter/@ChouhanShivraj
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विस्तार
“मैं 85 वर्ष का हो चुका हूँ, जीवन देख लिया है, लेकिन अगर उस स्त्री का पति मर गया तो बच्चे अनाथ हो जायेंगे, इसलिए मेरा कर्तव्य है कि मैं उस व्यक्ति के प्राण बचाऊं।'' कुछ ऐसा कहकर 85 साल के कोरोना पीड़ित नारायण दाभाडकर ने अपना बेड दूसरे मरीज के लिए छोड़ दिया। इसके महज तीन दिन बाद ही उनका निधन हो गया।
कोरोना के प्रकोप और सरकार की लचर व्यवस्था के चलते रोजाना कई जिंदगियां जा रहीं हैं। अस्पताल में हालात कुछ ऐसे हैं कि मरीजों को घंटों-घंटों बाहर खड़ा रहना पड़ रहा है फिर भी उन्हें अंदर भर्ती नहीं किया जा रहा। बेड और ऑक्सीजन की किल्लत के कारण रोजाना हजारों मौतें इस वक्त भारत देख रहा है। ऐसे कठिन हालातों में भी कई लोग ऐसे हैं जो अपनी मानवता से कई जिंदगियां बचा रहें हैं। ऐसे में नारायण दाभाडकर की कहानी सुनकर आप भी भावुक हो जाएंगे।
आपको बता दें कि नारायण दाभाडकर कुछ समय पहले ही कोरोना संक्रमित हुए थे। इसके बाद उनका ऑक्सीजन का स्तर कम होने लगा। स्थिति नाजुक होते देख उनकी बेटी और दामाद ने उन्हें फौरन इंदिरा गांधी शासकीय अस्पताल में ले गए। जहां उन्हें काफी जद्दोजहद करने के बाद भर्ती किया गया। इसी दौरान एक महिला अपने पति की जान बचाने के लिए अस्पताल वालों से गुहार कर रही थी। वहीं अस्पताल में एक भी बेड खाली नहीं था। इस कारण महिला के पति को भर्ती नहीं किया जा रहा था।
रोती-बिलखती महिला को देख नारायण दाभाडकर काफी भावुक हो गए। इसके बाद उन्होंने अस्पताल प्रशासन को पत्र लिखते हुए कहा कि "मैं अपना बेड दूसरे मरीज के लिए स्वेच्छा से खाली कर रहा हूं।" इसके बाद वे अपने घर लौट गए। घर लौटने के महज तीन दिन बाद ही उनका निधन हो गया।
नारायण दाभाडकर की इस कहानी को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया। ट्विटर पर नारायण दाभाडकर की एक तस्वीर को साझा करते हुए उन्होंने लिखा - "“मैं 85 वर्ष का हो चुका हूँ, जीवन देख लिया है, लेकिन अगर उस स्त्री का पति मर गया तो बच्चे अनाथ हो जायेंगे, इसलिए मेरा कर्तव्य है कि मैं उस व्यक्ति के प्राण बचाऊं।'' ऐसा कह कर कोरोना पीड़ित @RSSorg के स्वयंसेवक श्री नारायण जी ने अपना बेड उस मरीज़ को दे दिया।"
देखिए तस्वीर
“मैं 85 वर्ष का हो चुका हूँ, जीवन देख लिया है, लेकिन अगर उस स्त्री का पति मर गया तो बच्चे अनाथ हो जायेंगे, इसलिए मेरा कर्तव्य है कि मैं उस व्यक्ति के प्राण बचाऊं।'' ऐसा कह कर कोरोना पीडित @RSSorg के स्वयंसेवक श्री नारायण जी ने अपना बेड उस मरीज़ को दे दिया। pic.twitter.com/gxmmcGtBiE
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) April 27, 2021
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