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आज की भागम-भाग जिंदगी ने इंसान की औसत आयु में बड़ा फर्क डाला है। अमूमन लोग इंसान की जिंदगी का अनुमान 60-70 वर्ष की उम्र का लगाते हैं, इसके लिए रहन-सहन, खान-पान और परिवेश को जिम्मेदार माना जाता हैं। लेकिन पाकिस्तान में एक इलाका ऐसा है जहां के लोग बढ़ती उम्र को मात देते बताए जाते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान के गिलगिट-बाल्टिस्तान की काराकोरम पहाड़ियों पर रहने वाले हुंजा समुदाय के लोग दुनियाभर में अपनी लंबी उम्र के लिए मशहूर हैं। 1955 में अमेरिकी लेखक जेआई रोडेल की किताब 'द हेल्दी हुंजास' आई थी, जिसमें हुंजा समुदाय के लोगों की औसत आयु 120 साल बताई गई थी। लोग तो यहां तक कहते हैं कि हुंजा समुदाय में लोग 150 साल तक भी जिंदा रहते हैं।
हुंजा समुदाय के इन लोगों की संख्या लगभग 87 हजार बताई जाती है। हुंजा लोग अपनी उम्र से कम के दिखते हैं। यह भी कहा जाता है कि इस समुदाय की औरतें 60-65 साल की उम्र में भी मां बनती हैं और पुरुष 90 साल में भी पिता।
हुंजा समुदाय की लंबी उम्र की मूल वजह इनका रहन-सहन और भोजन बताया जाता है। इनके बारे में कहा जाता है कि ये लोग मेहनती होते हैं, खुद की मेहनत से उगाया हुआ अन्न ही खाते हैं और पैदल खूब चलते हैं। एक सबसे बड़ा कारण यह भी है कि ये प्रदूषण रहित इलाके में रहते हैं।
हुंजा समुदाय के बारे में कहा जाता है कि ये लोग मांसाहारी खाना कम से कम खाते हैं और शुद्ध एवं शाकाहारी भोजन पर ही ज्यादा निर्भर रहते हैं। साल में जितने महीने होते हैं उतने प्रकार का ये भोजन करते हैं। अखरोट, दूध, मक्खन और फलों का सेवन इनके रोज के भोजन में शामिल हैं। सबसे खास बात ये भी है कि ये लोग खेतों में पेस्टिसाइड का इस्तेमाल नहीं करते हैं। ये लोग जौ, बाजरा, कुट्टू और गेहूं की खेती करते हैं। आलू, मटर, गाजर, शलजम भी ये लोग खूब इस्तेमाल करते हैं।
इस समुदाय के बारे कहा जाता है कि बीमारियां लोगों के छूकर भी नहीं जाती हैं, इसकी एक वजह यह भी है कि ये लोग ओवर ईटिंग नहीं करते हैं और दिन दो 2 बार ही भोजन करते हैं। हुंजा समुदाय की सेहत को लेकर शोध भी होते रहते हैं। पाकिस्तान में हुंजा वैली फेमस टूरिस्ट स्पॉट भी है।
हुंजा वैली का एक दृश्य-