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आदरणीय मुख्यमंत्री जी,
बहुत बहुत धन्यवाद! आपने जो पान-गुटखे पर बैन लगाया न तो सच्चो कहें तो पूरा का पूरा मन तर हो गया है। यूपी का हर वह शख्स जो पान-मसाला से परहेज करता है, वह आज खुशी से गदगदा गया होगा। कहावत है कि जैसा मुंह देख कर काम पर जाएंगे वैसा ही रिजल्ट आएगा। यहां तो बचपन से सरकारी दफ्तरों में हमारा स्वागत पान-गुटखा का पीक ही करती थी। फिर 'पीकों' पर भिनभिनाती मख्खियों की करतल ध्वनी सुनते हम साहब की चौखट पर पहुंचते।
ये तो ट्रेलर रहता है। दफ्तर में फाइल, मुहर, पेन के बगल में पान और गुटखा दिखता। कहीं-कहीं तो साहब के हाथ में एक सींक भी होती है जो वह दांत में फंसे हुए गुटखा-पान को निकालने के लिए प्रयोग करते हैं।
अब साहब बात शुरू करने से पहले बगल में पड़े पीकदान (डस्टबीन) में पच्च से थूकते और आधा मसाला मुंह में लिए आधी जबान ही बोलते बताइए क्या काम है। इसके बाद काम सुन रहे हैं और मसाला मुंह में घुलाए पड़े हैं। बीच में दांत खोद रहे हैं पीकदान में थूक रहे हैं।
इन स्थितियों से गुजरने के बाद काम होने की उम्मीद कम, अधिकारी के आश्वासन की उम्मीद ज्यादा ही होती थी। अब आपके फैसले के बाद वह दफ्तर में पान-गुटखा नहीं खाएंगे तो उनका आधा से ज्यादा काम कम हो जाएगा। बोझ कम होने के बाद वह हमारे कामों पर भी ध्यान दे सकेंगे।
अउर त अउर, जो मुंह दिखाने वाली कहावत है न, उसके मुताबिक भी दफ्तर में घुसते हुए काम होने की उम्मीदी बढ़ जाएगी।
धन्यवाद!
आपका आभारी रहूंगा।
गुटखा-पान न खाने वाला आपके प्रदेश का एक वोटर...
राघवेंद्र मिश्र