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आपने इंसानों का श्राद्धकर्म तो होते सुना होगा लेकिन शायद ही कभी किसी जानवर या पक्षी का श्राद्धकर्म होते सुना हो। लेकिन बिहार में ऐसा हुआ है। यहां सुपौल जिले के एक गांव में लोगों को मंदिर में एक घायल उल्लू मिला। यूं तो हम उल्लूओं (मूर्खों) पर खास ध्यान नहीं देते। मगर ये उल्लू सच का उल्लू (पक्षी) था और हिंदू धर्म में मान्यता है कि उल्लू लक्ष्मी जी का वाहन है। ऊपर से मंदिर में मिला तो लोगों की आस्था और बढ़ गई। लेकिन लाख जतन के बाद भी उल्लू को बचाया न जा सका और उसने प्राण त्याग दिए।
इसके बाद गांववालों ने भी पूरे विधिविधान से उल्लू का अंतिम संस्कार किया। बहुत से लोग उल्लू के क्रिया-कर्म में शामिल हुए। इतना ही नहीं अंतिम संस्कार के बाद पूरे विधि-विधान से श्राद्धकर्म भी किया गया। इस दौरान कुंवारी कन्याओं के बाद सामूहिक भोज आयोजित किया गया। बताया जाता है कि ऐसा पहला मौका नहीं है, इससे पहले भी इस गांव के लोग एक सांड की मौत पर भोज आयोजित कर चुके हैं।