गोरख पांडे की लिखी एक कविता है। 1978 में लिखी गई थी। और ये तब लिखी गई थी जब समाजवादी पार्टी क्या, इनके नेता जी लोगों का भी ढंग से ठिकाना नहीं था। लेकिन जो लिखा गया था वो आज के हालात को देखें तो एकदम फिट बैठता है।
समाजवाद बबुआ, धीरे-धीरे आई
समाजवाद उनके धीरे-धीरे आई
हाथी से आई, घोड़ा से आई
अँगरेजी बाजा बजाई, समाजवाद...
लाठी से आई, गोली से आई
लेकिन अंहिसा कहाई, समाजवाद...
महंगी ले आई, ग़रीबी ले आई
केतनो मजूरा कमाई, समाजवाद...
अब आप आज अपने आस-पास की पॉलिटिक्स पर ज़रा ध्यान दें। जो चल रहा है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश को ही ले लें। आज बाप-बेटे के बीच साईकिल को लेके लड़ाई चल रही है। मतलब हिसाब इस कदर बिगड़ा हुआ है कि कोई सीट पकड़े हुए है तो कोई पैडल। लेकिन आपको क्या लगता है, ये नेता जी लोग साईकिल पर घूमने के लिए पगलाए हुए हैं? गलत! और कोई शक हो तो आगे पढ़िए। और इनके गाड़ियों की फ्लीट देखिए।
पिछले हफ्ते ही मुलायम सिंह यादव के बेटे प्रतीक यादव का एक वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें प्रतीक एक लम्बोर्गिनी कार के साथ दिखे थे। जिसकी कीमत इंडिया में कम से कम '4' करोड़ रुपये तक है। पहले ही बता दें, प्रतीक पॉलिटिक्स में नहीं हैं, वो अपने रियल स्टेट के बिज़नेस में ध्यान लगाए हुए हैं और जिम पर।
अब सुनिए नेता जी का। नेता जी घूमते हैं। मर्सिडीज़ एस-क्लास में। अभी कुछ दिन पहले ही नेता जी दिल्ली में अपनी मर्सिडीज़ के साथ दिखे थे। बाहर में 5-7 कमांडो दौड़े जा रहे थे। गाड़ी के साथ।