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सब तैयारियां पूरी हो चुकी थी, दूल्हे का सेहरा भी तैयार था और शेरवानी भी… घोड़ी भी और होने वाली घरवाली भी। गाजे-बाजे के साथ बारात निकली और कुएं के पास पहला पड़ाव आया। यहां कार्यक्रम के तहत दूल्हे को कुएं की परिक्रमा करनी थी… अभी पहला चक्कर ही पूरा हो पाया था कि किसी ने पटाखा दाग दिया।
बस यहीं से सारी कहानी बदल गई, जो दूल्हा घोड़े पर सवार होकर किसी के सपनों का राजकुमार बना हुआ था, अगले ही पल वो दूल्हा... दुल्हनियां के सपनों के साथ कुएं के अंदर था और अपनी ही जान बचाने की गुहार उन बरातियों से लगा रहा था जो शादी में डांस करने के मूड से आए थे।