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पाकिस्तानी खूफिया एजेंसी ISI के बारे में ये बातें आपको मालूम होनी चाहिए!

Updated Mon, 27 Jun 2016 09:48 AM IST
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cover-ISI
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विस्तार

यह बात तो किसी से नहीं छुपी कि भारत और पाकिस्तान के बीच 36 का आंकड़ा है। दोनों अलग-अलग स्तरों पर एक-दूसरे का खुल कर विरोध करते हैं। पाकिस्तान की सरकार अपनी खुफ़िया एजेंसी ISI यानी इंटर सर्विस इंटेलिजेंस के ज़रिए भारत में कई तरह के षड्यंत्र करवाती है। मगर हम भी किसी से कम हैं क्या... उनका मुंहतोड़ जवाब हर बार दिया है। अंग्रेज़ी में एक कहावत के अनुसार दुश्मनों को दोस्तों से भी करीब रखना चाहिए। इसलिए तो ज़हर को मारने के लिए ज़हर के बारे में मालूम करना ज़्यादा ज़रूरी होता है। ISI कितना चालाक और खतरनाक है, यह तो उसके बारे में जानने के बाद ही पता चलेगा। इसलिए हम आपको बता रहें हैं ISI की 5 वो बातें, जो आपको मालूम होनी चाहिए:  

1. 1948 में बना ISI, विकासशील देशों में सबसे बड़ी और ताकतवर इंटेलिजेंस सर्विस में गिना जाता है।5-ISI

पाकिस्तान की इस एजेंसी के पास जल, थल और नभ में जासूसों के अलावा खुफिया विभाग भी है। 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद पाकिस्तानी सरकार को इंटेलिजेंस एजेंसी की ज़रूरत महसूस हुई और इसके बाद ISI का जन्म हुआ।  

2. ISI पश्चिमी देशों से अफगानिस्तानी मुजाहिद्दीन लड़ाकों को हथियार और पैसा मुहैया कराता था।2-ISI

सोवियत संघ से युद्ध के दौरान ISI ने अफगानी लड़ाकों को पश्चिम के देशों से पैसा और हथियार, दोनों मुहैया करवाए। दिसंबर 1979 से लेकर फरवरी 1989 के दौरान ISI ने इस युद्ध में सक्रिय, मगर गुपचुप भाग लिया। हालांकि अंदरूनी उथल-पुथल के कारण ISI को काफी नुकसान भी उठाना पड़ा और उसके कई साथी तालीबान का हिस्सा बन गए।  

3. एक अफवाह यह भी है कि आज तक कोई भी ISI का एजेंट नहीं पकड़ा गया है।3-ISI

इस बात पर यकीन करना ज़रा मुश्किल है, मगर पाकिस्तानी सरकार के अनुसार आजतक उनका कोई भी खुफिया अधिकारी विदेशी ज़मीन पर नहीं पकड़ा गया है। इसके पीछे एक कारण यह भी है कि जैसे ही कोई एजेंट पकड़ा जाता है, ISI उससे अपना पल्ला ही झाड़ लेती है। काफी स्मार्ट मूव है...  

4. यकीन न हो, मगर ISI ने कई अलकायदा और तालीबानी आतंकियों को गिरफ्तार किया है।4-ISI

ISI और CIA काफी नज़दीकी से काम करते हैं। ISI के खुद के कई आतंकी संगठनों से करीबी रिश्ते हैं, मगर फिर भी ISI ने कई खतरनाक आतंकियों को पकड़वाया है। इसके पीछे कारण यह है कि पाकिस्तान खुद भी आतंकवाद का शिकार है।  

5. ISI के पास हज़ारों एजेंट हैं, जिसमें आम नागरिकों से लेकर सैनिक तक शामिल हैं।1-ISI

ISI के लिए कितने लोग काम करते हैं, उसकी कोई स्पष्ट गिनती नहीं की जा सकती। सीधे या गुपचुप तरीके से ISI का रिक्रूटमेंट होता है, जिसमें नागरिकों से लेकर सशस्त्र बल के सैनिक भी हैं। ISI को सपोर्ट करने वालों में अमेरिका का नाम सबसे बड़ा है, जो उसकी ट्रेनिंग में भी सहायता करता है।  

दुश्मन को कमज़ोर आंकना बेवकूफ़ी होती है और ISI कमज़ोर नहीं है।

नोट: यह सारी जानकारी Reuters India से ली गई है, जो सिर्फ़ ज्ञान और जिज्ञासा के लिए है।


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