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बचपन से पढ़ाया लिखाया जा रहा है कि मछली जल की रानी है और जीवन इसका पानी है। पानी के बिना जिंदा मछली के बारे में सोचना भी बेइमानी मानी जाती है लेकिन अगर आपसे कहें कि मछलियों की बिरादरी की एक मछली ऐसी भी है जो इन सब बातों से इत्तेफाक नहीं रखती है तो क्या कहेंगे। आपको यकीन करने में दिक्कत हो सकती है लेकिन इन मछलियों को पानी के बाहर टहलने में कोई दिक्कत नहीं होती है।
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पानी के बाहर जिंदा रहने वाली ये मछलियां थाईलैंड के करीब पैसिफिक ओशन में पाई जाती हैं। मडस्किपर नाम की प्रजाति की ये मछलियां पानी के बाहर आकर कई घंटों तक रह सकती है। पानी के बाहर आकर उछलती-कूदती हैं, कुदरत ने इनको कुछ इस तरीके से बनाया है।
दरअसल इनके शरीर में दो स्पंज पाउज बने होते हैं। जमीन पर आते वक्त मडस्किपर मछलियां अपने पाउच में पानी भर लेती हैं। ये पानी मछलियों के फेफड़ों को गीला रखता है जिसकी वजह से मछलियों को पानी की जरूरत नहीं पड़ती है। बाहर रहते हुए अगर मछलियों को लेट हो गया और उनके पाउच का पानी खत्म हो जाता है तो ये मुंह से सांस लेती हैं।
ज्यादातर ये मछलियां दलदल और कीचड़ में पाई जाती हैं। इनकी शरीर की बनावट भी कुछ इस तरीके की है, मिडस्किपर की आंखे, उनके सिर के ऊपर होती है।