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जब भी आप ज़ुकाम से परेशान होते हैं या आपका गला खराब होता है तो तुरंत आपके घरवाले आपसे हल्दी वाला दूध पीने के लिए कहने लगते हैं। उसे पीना कोई आसान काम नहीं होता है। लेकिन आपको मन मारकर ऐसा करना पड़ता है। इसके अलावा चोट लगने पर भी भारत में हल्दी लगाकर उसे ठीक किया जाता रहा है।
लेकिन एक स्टडी में एक चौंका देने वाली बात सामने आई है। इस स्टडी के अनुसार हल्दी में कोई भी फायदेमंद तत्व नहीं होता है। यानी अब तक आपको बहुत काएदे से बेवक़ूफ़ बनाया गया है।
अब तक हल्दी को उसके अंदर पाए जाने वाले एक कंपाउंड करक्यूमिन की वजह से एक दवाई की तरह देखा जाता रहा है। अब तक ऐसा समझा जाता था कि करक्यूमिन एक अनस्टेबल, रिएक्टिव और नॉन बायोअवेलेबल कंपाउंड होता है जिससे कि इससे दवाई बनाने में मदद मिल सकती है। लेकिन एक नयी रिसर्च के रही है कि हम अबतक इसे कुछ ज्यादा ही बढ़ा-चढ़ा कर देखते आए हैं।
इसके अनुसार हल्दी में इतने ज़्यादा तत्व नहीं पाए जाते हैं कि वो आपकी बीमारी को ठीक कर सके। लेकिन फिर भी आप इसे अपने खाने में शामिल कर सकते हैं। मेडिकल केमिस्ट्री के जर्नल में ये रिसर्च छापी गयी है। हाल ही में जब हल्दी पर कई ट्रायल किए गए तो उसके ज्यादा अछे परिणाम नहीं आए।
शोध में पता चला कि करक्यूमिन जब ब्रेक डाउन होता है तो वो अलग-अलग केमिकल्स में बदल जाता है जिनकी अपनी कुछ प्रॉपर्टी होती हैं। ऐसे में ये कुछ दूसरे केमिकल्स के साथ मिल जाता है और उनसे हुए फायदों का श्रेय करक्यूमिन या हल्दी के नाम हो जाता है। साथ ही इसपर जब अल्ट्रावायलेट किरणें डाली जाती हैं तो ये फ्लोरोसेंट रंग में बदल जाता है। इससे लोगों को लगता है जैसे ये किसी केमिकल प्रोटीन के साथ रिएक्ट कर रहा है।
अब सवाल ये पैदा होता है कि जब गला आब होता है तो हल्दी वाला दूध कैसे काम कर जाता है? इसपर वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे वक़्त में लोग अपना ख़ास ध्यान रखते हैं। वो गर्म दूध पीते हैं और दूसरे तरीकों से खुद को आराम पहुंचाते हैं और उन्हें लगता है जैसे उन्हें हल्दी वाले दूध से ही फायदा पहुंचा है। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि हल्दी में कुछ तत्व ऐसे ज़रूर पाए जाते हैं जिनसे बीमारियों को ठीक किया जा सकता है लेकिन इसपर और रिसर्च की जानी चाहिए।