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2016 में लोक सभा में एक नई योजना शुरू की गई जिसका नाम है 'सांसद आदर्श ग्राम योजना'। इसके तहत हर सदस्य को एक गांव को चुनकर उसके विकास का ज़िम्मा उठाना होता है। आमतौर पर हमें लगता है जैसे हमारे द्वारा चुने गए प्रतिनिधि कुछ काम नहीं करते हैं। इस देश की हालत देखकर कुछ ऐसा ही लगता है।
गांव के हालात तो और ज़्यादा खराब हैं। लेकिन फिर भी कुछ लोग देश के सामने एक अच्छा उदाहरण पेश करने का काम करते हैं। और कुछ ऐसा ही बेहतरीन काम कर दिखाया है सी.आर. पाटिल ने। जिन्होंने गांव वालों और कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर एक गांव की पूरी तस्वीर पलट कर रख दी है।
पाटिल बताते हैं कि इस काम की शुरुआत करने से पहले एक ग्राम सभा आयोजित की गई जिसमें स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर उन बातों पर चर्चा हुई जिसपर हम काम कर सकते थे।
इस काम को करने के लिए गांव के किसान और शिक्षक इकठ्ठा हुए और सभी ने मिलकर गांव को बदलने का मोर्चा संभाला। 19 करोड़ रुपए में गांव में कई काम किए गए जो दिखाई भी देते हैं।
सबने मिलकर यहां करीब 380 शौचालय बनवाए, सड़क निर्माण कराया, कूड़ा इकठ्ठा करने के लिए बड़े कूड़ेदान लगवाए और सोलर स्ट्रीट लाइटें लगवाईं। इसके साथ ही यहां एक रिवर फ्रंट का निर्माण भी किया गया।
पाटिल बताते हैं कि सड़कें चौड़ी करवाने के लिए अतिक्रमण हटाना ज़रूरी था जिसके लिए गांव वाले शुरू में मानने को तैयार नहीं थे। लेकिन धीरे-धीरे जब उन्हें इस बात का फ़ाएदा नज़र आने लगा तो उन्होंने खुद आगे बढ़कर मदद करना शुरू कर दिया और इससे सड़कों पर टाइलें बिछाने का काम सफल हुआ।
इन सभी कामों के अलावा यहां शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर भी ध्यान दिया गया। सी.आर. पाटिल ने इस गांव में एक आंगनवाड़ी केंद्र, एक बस स्टॉप, एक लाइब्रेरी का निर्माण करवाया साथ ही यहां के रोटरी आई हॉस्पिटल के लिए एक डायग्नोसिस मशीन का भी इंतज़ाम किया गया।
कुलमिलाकर इन सांसद महोदय ने वो काम कर दिखाया है जो नेता सालों-साल नहीं कर पाते हैं। इससे ये साबित हो जाता है कि अगर कोई व्यक्ति सच में काम करना चाहता है तो उसे काम करने से कोई भी नहीं रोक सकता।
अगर सभी नेता विकास को अपनी ज़िम्मेदारी समझ लें तो शायद भारत की तस्वीर बदलते देर नहीं लगेगी।