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आदिवासी जनजातियों में कई ऐसी परंपराएं हैं, जो अपने आप में बहुत विचित्र हैं। संसार की कई आदिवासी जनजातियों में शरीर के अंगों को काटने या नुकसान पंहुचाने की परंपराएं या शौक के रूप में शामिल है। शौक के रूप में अंगों को काटने से इनका मानना है कि ये और अधिक सुन्दर हो जाते हैं। जबकि परम्परा के रूप में अंगों को काटने के कई कारण होते हैं, इनमे से एक है किसी अपने की मृत्यु का शोक बनाने के लिए, किसी के प्रति अपने दुख को दर्शाने का यह उनका एकक तरिका है, लेकिन सिर्फ महिलाओं के लिए।
शायद यह आपको सुनने में बड़ा अजीब लगेगा, लेकिन इंडोनेशिया के पापुआ में रहने वाले दानी जनजाति में परिवार के मुखिया की मौत पर परिवार के सदस्यों की अंगुलिया कुल्हाड़ी से काट दी जाती है, जिसे उन्हें असहनीय दर्द होता है।
लेकिन इस दर्दनाक परंपरा का शिकार केवल परिवार की महिलायें ही होती है। इस जनजाति के लोगों का मानना है कि परिवार के सदस्यों की अंगुलियां काटने से उन्हें जो दर्द होता है उससे मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है, मतलब के जितना दर्द आत्मा को उतनी ही शांति।
इस परंपरा में अंगुलियां काटने से पहले उनको धागे से 30 मिनट बांधकर रखा जाता है। इसके बाद काटी गई अंगुलियों को सूखाकर जलाया जाता है तथा उसकी राख को एक विशेष क्षेत्र में दफनाया जाता है। हालांकि, सरकार ने कुछ साल पहले इस परंपरा पर बैन लगा दिया, लेकिन फिर भी दानी जनजाति के लोग इसे आज भी निभाते हैं।
.....मने की सदस्य की मौत का दर्द सिर्फ महिलाओं को होता है, पुरूषों को नहीं!