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पाकिस्तानी पायलट की अनोखी करामात, प्लेन ट्रेनी के सहारे छोड़ ढाई घंटे तक सोता रहा

Apoorva Pandey/ firkee.in Updated Mon, 08 May 2017 06:57 PM IST
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pakistan - फोटो : twitter
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पाकिस्तान जब-तब हमें हंसने के मौके देता रहता है। इस काम में पाकिस्तान की एयरलाइन्स सबसे आगे है। कुछ दिनों पहले ही ओवर बुकिंग की वजह से वहां कुछ यात्रियों को प्लेन में खड़े होकर सफर करना पड़ा था। यह किसी बस या पैसेंजर ट्रेन में सफर करने जैसा था। लेकिन इस बार वहां से जो खबर आई है उसको पढ़कर आपको थोड़ा गुस्सा आ सकता है। 

हुआ यह कि पीआईए के पायलट आमिर अख्तर हाशमी पाकिस्तान से लंदन जाने वाली फ्लाइट में अपनी ड्यूटी छोड़कर ढाई घंटों के लिए सो गए। उनके साथ एक ट्रेनी पायलट था, उतने समय इस ट्रेनी ने ही प्लेन उड़ाया। जब इस बात का पता चला तो लोगों का गुस्सा सोशल मीडिया पर फूटने लगा। इस प्लेन में करीब 300 लोग सवार थे। पहले पीआईए हाशमी को निकालना नहीं चाहती थी लेकिन दबाव पड़ने पर उन्हें उस पायलट को निकालना पड़ा। 
 

हाशमी को नए लोगों को ट्रेनिंग देने के लिए अच्छा-खासा पैसा मिलता है। उस दिन भी ट्रेनी पायलट अली हसन याजदानी ट्रेनिंग लेने ही आए थे लेकिन पायलट ने यह प्लेन उनके भरोसे छोड़ना ही बेहतर समझा। हाशमी खुद जाकर बिजनेस क्लास में सो गए। हर पायलट को इतने घंटों का आराम दिया जाता है कि प्लेन उड़ाते समय उसको नींद न आए। लेकिन इसके बावजूद हाशमी ने ऐसा किया।
 

यह तो हो गई एक बात कि प्लेन उड़ाने वाला ट्रेनी ही सही लेकिन इंसान था। पायलट की मदद करने के लिए तकनीक का भी सहारा लिया जाता है जिसके बारे में सुनकर काफी डर लगता है। इस बला का नाम है ऑटो-पायलट। अब क्योंकि प्लेन हवा में उड़ता है और सामने ट्रैफिक नहीं होता तो पायलट थोड़े और निश्चिंत हो जाते हैं। लेकिन दुर्घटनाएं ऐसे ही घटती हैं। ऑटो पायलट की व्यवस्था इसलिए की जाती है जिससे पायलट कुछ मिनट का आराम कर सकें। लेकिन इसके भरोसे फ्लाइट को कतई छोड़ा नहीं जा सकता। 

एक ऑटो-पायलट विमान को आराम से उड़ा सकता है लेकिन उससे पहले पायलट को सिस्टम में कई सारी सेटिंग्स करके ही जाना होता है। विमान की स्पीड क्या रहेगी, वो कितनी ऊंचाई पर उड़ेगा, रूट क्या होगा, दिशा क्या रहेगी, यह सब पहले से ही तय करना होता है और इसके बाद ही पायलट अपनी सीट से उठ सकता है वो भी कुछ समय के लिए ही। वैसे आमतौर पर हर प्लेन में दो पायलट होते हैं जिससे इस प्रकार की कोई दिक्कत ही न आए। 
 

भले ही ऑटो पायलट ने हमें ढेर सारी सुविधाएं दे रखी हों लेकिन इसमें भी काफी पेंच होते हैं। आसमान में कोई रोड या पटरी तो होती नहीं है जिस पर प्लेन को दौड़ा दिया जाए। एयर ट्रैफिक नाम की भी एक चीज होती है। हर जगह एटीसी ही विमानों को नियंत्रित करती है। थोड़े-थोड़े समय अंतराल पर पायलट को वहां से निर्देश जारी होते हैं जिसके मुताबिक फिर पायलट को प्लेन का रूट और ऊंचाई बदलनी पड़ती है। अब ऑटो पायलट में तो सब कुछ फीड करना पड़ता है। ऐसे में अगर कोई पायलट अपना प्लेन ऑटो पायलट के सहारे छोड़कर चला जाएगा तो कोई भी अनहोनी घट सकती है। अब मशीन तो एयर ट्रैफिक कंट्रोल से किसी तरह के निर्देश तो ले नहीं सकती, यह काम किसी को-पायलट का ही है। तो अगर आप सोचते हैं कि पायलट के न होने पर आप ऑटो पायलट पर भरोसा कर सकते हैं तो आप गलत हैं।

पाकिस्तान में जो हुआ वो भी कम खतरनाक नहीं है। ट्रेनी आखिर सीखने की प्रक्रिया में होता है। वो किसी आपातकालीन स्थिति को नहीं संभाल सकता। ऐसे में हाशमी को निकाले जाने का निर्णय बिल्कुल सही था। अब देखिए इस घटना पर पाकिस्तानियों ने कैसे अपनी प्रतिक्रिया दी।

पायलट बाबू सो गए!

 

 

 

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