Home Fun On This Day In Punjabs Gurdaspur Sp Baljeet Singh Got Martyred

आज की तारीख़ में एक और घटना हुई थी, इस देश ने अपना एक और बेटा खोया था

Updated Wed, 27 Jul 2016 03:56 PM IST
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तारीख आज ही की थी। 27 जुलाई लेकिन साल था 2015। हां मुझे पता है, आपको अपने प्यारे राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ. कलाम साहब की याद आई होगी। आज की ही तारीख में पिछले साल कलाम साहब इस दुनिया से विदा हुए थे। सबसे पहले कलाम साहब को हमारी तरफ से नमन। जिन्होंने हमारे देश को न जाने क्या-क्या दिया। वो क्या कहते थे उन्हें, आम आदमी का राष्ट्रपति। वो थे भी ऐसे ही। है ना!

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लेकिन एक और बात इस तारीख की, जो हमें याद नहीं आई। वो है पिछले साल ठीक आज ही के दिन पंजाब के गुरदासपूर में आतंकी हमला हुआ था। जिसमें 6 लोगों की मौत हुई थी। जिनमें 3 लोकल लोग थे। और 3 पंजाब पुलिस के जवान शहीद हुए थे। उनमें से एक थे एस.पी. बलजीत सिंह।

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हम बहुत जल्दी भूलते हैं। हम इतनी तेज़ी से सब कुछ भूलते हैं कि जो मीडिया 27 जुलाई 2015 को पंजाब से पल-पल की ख़बर दे रहा था। आज उसे उन शहीदों की शहादत का तनिक भी ख्याल नहीं आया। कितनी शर्मनाक बात है। हां मैं इस मीडिया का शुक्रगुज़ार हूं कि कम से कम इसे कलाम साहब तो याद हैं। कहीं कोई भूत-पिशाच और स्वर्ग का रास्ता दिखाने के बीच वो कलाम साहब की एक तस्वीर भी घुमा दे रही है। लेकिन इन सब के बीच इसे एस.पी. बलजीत सिंह की याद एक बार भी नहीं आई।

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27 जुलाई की सुबह सूरज वैसे ही उगा था। जैसे सालों, सदियों, सहस्त्राब्दियों से उगता आ रहा है। दिशा भी वही थी, पूरब। हिंदुस्तान की पांच नदियों को अपनी जमीं में जगह देने वाली धरती हमेशा की तरह उस सुबह के स्वागत के लिए तैयार थी। लेकिन तभी देश के पश्चिम कोने से कुछ उपद्रवी इस जमीं में घुस आए। इरादे तो बेहद ही नापाक थे। लेकिन वो शायद भूल गए थे कि उन्होंने पंजाब की सीमा में कदम रख दिया है। ये वही ज़मीन है जिसने वतन-ए-हिन्द को न जाने कितने ही वीर सपूत दिए हैं। ये भगत सिंह और गुरु गोविन्द सिंह की ज़मीन थी। इतनी जल्दी कैसे हार जाती। मुकाबला तो इसकी रगों में दौड़ता है।
[caption id="attachment_27736" align="alignnone" width="671"]IMG source: Zee IMG source: Zee[/caption]
जैसे ही घटना की ख़बर फैली। पंजाब की पुलिस मोर्चे पर तैनात थी। ऑपरेशन 10 घंटे तक चलता रहा। पंजाब पुलिस, आर्मी और पंजाब पुलिस की स्पेशल स्वाट टीम ने मिलकर तीनों आतंकवादियों को मार दिया। लेकिन इन सब के बीच पंजाब पुलिस अपने दो जवानों और एक ऑफिसर को खो चुकी थी। एस.पी. बलजीत सिंह को गोली लगी थी। जिसके बाद उनकी मौत हो गई। पंजाब का एक और वीर देश के नाम शहीद हो गया था।

आज उन्हीं बलजीत सिंह और पंजाब पुलिस के उन दो जवानों को Firkee सलाम करता है!!

अगली बार जब सड़क पर ट्रैफिक पर, किसी चौकी के सामने किसी पुलिस वाले को खड़े देखना तो अपना मुंह फाड़ने से पहले इन जवानों को याद कर लेना।

एक और बात कभी दिमाग में ये ख्याल आए न कि ये पुलिस वाले कुछ करते नहीं, निठल्ले हैं। उससे पहले खुद को उनकी जगह खड़े करके देखना। जो दिनभर ऑफिस की ए.सी में बैठे थक जाते हो न, वो सब मुंह के रस्ते बाहर हो जाएगी।

कुर्बानी का मतलब इतनी आसानी से समझ में नहीं आएगा। अगर समझना है तो कभी बलजीत सिंह के परिवार वालों से मिल आना। कभी उस ट्रैफिक हवलदार के बीवी-बच्चों से मिल आना। जब ये त्यौहारों में तुम्हारे-हमारे ट्रैफिक को संभालने में लगे रहते हैं। तब इनके बच्चे इनका इंतज़ार कर रहे होते हैं।

पढ़ने में कुछ बुरा लगा? ज़रूरी है कभी-कभार कुछ बुरा लगना। वरना सब कुछ कितना सही चल रहा होता है न!


 

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