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जब दो देश एक साथ आजाद हुए तो एक क्यों तरक्की कर रहा है और दूसरा क्यों कुढ़ कर मर रहा है। फिरकी टीम निकली मैग्नीफाइंग ग्लास लेकर कि आखिर जब दोनों देशों के लोग एक थे। सोच एक जैसी थी..बातें एक जैसी थी, तो फिर क्यों पाकिस्तान पाकिस्तान ही रह गया..क्यों आखिर क्यों...
अचानक फिरकी टीम की नजर पड़ी पाकिस्तान के कायदे आजम के भाषण पर। फिर सोचा चलो जरा पढ़ लें क्या उम्मीद जगाई थी मोहम्मद अली जिन्ना ने तो पता चला कायदे आजम साहब अपने देशवासियों को कुछ भी कायदे से समझाने में कामयाब नहीं हो पाए।
बात तो उन्होंने भ्रष्टाचार , कालाबजारी, गरीबी, हिंदू- मुस्लिम सब कर डाली लेकिन करना क्या है? ये तो वो बता ही नहीं पाए।
सत्ता की चाहत में देश तो बंट गया था, सोचा था कायदे आजम हैं तो देश में महात्मा का दर्जा भी शायद मिल जाए। महात्मा गांधी की तरह। लेकिन महात्मा होने के लिए फिर, महात्मा बनना पड़ता है। देश परमाणु बम तो बना ले गया लेकिन गरीबी से निपटने के उपाय न ढूंढ पाया। शिक्षा का स्तर तो बस मत पूछो। जो आगे बढ़ गया वो बढ़ गया लेकिन जो नहीं बढ़ पाया वो बदस्तूर नीचे गिरा जा रहा है।
आतंक का पनाहगाह बन कर उसने खुद के पैर पर ही कुल्हाड़ी ही मार ली है। कायदे आजम को पता था कि पाकिस्तानी भी बंटवारे से नाराज हैं तो वो बड़े जोश से कहते हैं देखो बंटवारा तो होना ही था। लेकिन क्यों होना था ये जवाब जिन्ना साहब के पास नहीं था।
नतीजा देखिए न जब नेता ही पाकिस्तान में नफरत के बीज बोए तो अल्पसंख्यकों को कौन बचाए।
अब जब हम देखना चाह रहे हैं कि क्यों भारत पाकिस्तान एक ही सिक्के के दो पहलू होते हुए भी भारत अमन चैन शांति की बात करता है लेकिन पाकिस्तान में आतंक है, बेचैनी है।
तो भाई देश का विजन क्या होगा, फिरकी टीम पूरे भाषण में ढूंढती रही लेकिन क्या मजाल देश को दिशा देने की एक लाइन गलती से भी मिल जाती। तभी आज जब भारत मंगल यान और चांद पर पहुंचने की कहानी लिख रहा है तब पाकिस्तान अपने वजीरे आजम के पनामा लीक्स में फंसने का इतिहास रच रहा है।