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पिछले दिनों हमने कई दिल पिघला देने वाली तस्वीरें देखीं जिसमें भारत के दूर-दराज़ के इलाके के लोग अपनों की लाश को अपने कंधों पर लादे लिए जा रही हैं। कहीं किसी मरीज़ को टोकरी में भरकर ले जाया जा रहा है तो कहीं किसी लाश को केवल इसलिए मोड़ दिया गया ताकि उसे कंधे पर टांग कर ले जाने में आसानी हो।
ऐसा नहीं है कि ये सारी चीज़ें अभी शुरू हुई हैं, इन इलाकों का हमेशा से यही हाल है। सरकारें बदलती रही हैं लेकिन इन इलाकों की तस्वीर अभी तक नहीं बदल पाई है। लेकिन जलपाईगुड़ी के करीमुल हक़ जैसे लोग एक उम्मीद की किरण बनकर उभरे हैं। करीमुल हक़ जिन्हें लोग 'एम्बुलेंस दादा' के नाम से भी जानते हैं। इन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया जाने वाला है।
करीमुल हक़ पिछले कई सालों से मरीज़ों को अपनी मोटर बाइक पर बिठाकर अस्पताल पहुंचाने का काम कर रहे हैं। करीमुल 52 साल के हैं और चाय के बागान में काम करते हैं। उनके इस काम की वजह से ही लोग उन्हें 'एम्बुलेंस दादा' बुलाने लगे हैं। करीमुल बताते हैं कि 1995 में जब उनकी मां समय से इलाज न मिलने के कारण गुज़र गईं तो उन्होंने लोगों की मदद करने के बारे में सोचा।
करीमुल ये काम बिल्कुल फ्री में करते हैं। सबसे पहले उन्होंने एक बाइक ख़रीदी उसके बाद उन्होंने उसपर आगे-पीछे एम्बुलेंस लिखवा लिया। वो 24 घंटों में कभी भी मदद के लिए मौजूद रहते हैं। उनका मोबाइल नंबर सभी के पास है। वो कहते हैं कि वो लोगों की सेवा सच्चे दिल से करते हैं और उन्होंने इसके बदले में कभी किसी से कुछ नहीं मांगा।
जलपाईगुड़ी के प्राइमरी हेल्थ सेंटर में काम करने वाले डॉक्टर हितेन बर्मन कहते हैं कि अब गांव में कभी किसी को कोई भी दिक्कत होती है तो वो पहले करीमुल के पास जाता है। सभी को लगता है कि उनकी हर परेशानी का हल करीमुल के पास है। करीमुल की इस पहल को देखकर कई डॉक्टरों ने करीमुल को फर्स्ट एड देना भी सिखा दिया है।
कई बार तो ऐसा भी होता है जब करीमुल डॉक्टर से फ़ोन पर बात करके उसे मरीज़ का सारा हाल बताते हैं और फिर डॉक्टर जो कहता है वो उस हिसाब से मरीज़ को दवा आदि दे देते हैं। उन्हें कई दवाएं आदि कई अस्पतालों के माध्यम से भी मुहैया करवाई गई हैं।
इस खबर को सुनने के बाद से ही पूरे गांव में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है। किसी ने कभी नहीं सोचा था कि पश्चिम बंगाल के एक छोटे से दूर-दराज़ के गांव के किसी व्यक्ति को इतना बड़ा सम्मान मिलेगा। करीमुल ने अपने इस काम के बदले कभी किसी से कोई उम्मीद नहीं की। करीमुल एक गरीब परिवार से आते हैं और उन्होंने बाइक भी लोन पर ली थी।
करीमुल कोई बड़ी गाड़ी नहीं ले सकते थे। इसलिए उन्होंने बाइक को चुना साथ ही ये खराब से खराब रास्ते पर भी आराम से चल सकती है। करीमुल ने ये तय किया है कि अबसे किसी भी व्यक्ति को सही समय पर इलाज न मिल पाने की वजह से नुक्सान नहीं होना चाहिए।
करीमुल कहते हैं कि वो एक मुसलमान हैं लेकिन वो सभी की मदद करते हैं क्योंकि सभी लोग एक ही ऊपरवाले की दें हैं। उनके मन में किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं है। वो कहते हैं कि वो अपनी मां का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं क्योंकि उन्हें विश्वास है कि वो उन्हें आज भी देख रही हैं और अपना आशीर्वाद दे रही हैं।
इसके साथ ही वो कहते हैं कि शायद उन्हें ऊपरवाला ये सब करते हुए देख रहा था और उन्हें अब अपने काम का फल मिला है।
करीमुल हक़ साहब को Firkee सलाम करता है। इस देश को ऐसे ही नेक दिल लोगों की ज़रूरत है। अगर ऐसे लोगों की संख्या कुछ बढ़ जाए तो ये दुनिया बहुत अच्छी हो जायेगी।