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मोहब्बत करने वालों के नाम एक लड़की का खुला ख़त!

shweta pandey/firkee.in Updated Fri, 20 Jan 2017 10:52 AM IST
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विस्तार

ये सिलसिला तो स्कूल के दिनों से ही शुरू हो जाता है। कभी ताका-झांकी करना, कभी नोट्स बुक मांगने के बहाने बात करे की कोशिश करना। आज के जमाने में सेल फोन ने दो दिलों की बैचेनीयों को जितना कम किया है, उससे 2 गुना ज़्यादा बढ़ा दिया। पहले के जमाने में तो इश्क करने वालों को इश्क का इज़हार करने का मौका ही नहीं मिल पाता था, कुछ दिनो बाद पता चलता था कि उसकी तो शादी हो गयी। ख़ैर... ये इश्क की बातें इश्क करने वाले ही जाने। हम अपनी कुछ बात रख रहे, दो प्रेमियों के लिए..
 

डियर फ्रेन्ड्स 

ये बातें जो मै शेयर करने जा रही हूं वो आपके साथ हर रोज होती होंगी। आपको पता ही नहीं चलता कि कब हम दोनो करीब आ गए। कब हम दोनो एक दूसरे में इतना खो गए कि दुनियादारी को भूल ही गए। शुरूआत में तो दोनो एक दूसरे के लिए इतना प्यार दिखाते हैं जितना कि उन्हें अपने मां-बाप से कभी नहीं मिला।

फेसबुक, वाहट्सऐप हर जगह टाका लगा के रहते हैं कि कब वो अॉनलाईन हो। कब उससे बात हो। कब वो बोले आई मिस यू और आप बोलो मिस यू टू। एक दिन गुड मॉर्निंग का मैसेज न आए तो सुबह न हो। रात को सोते वक्त लव यू और वो वाली इमोजी "जिसके आंखों में दिल बना होता है" वो न भेजे तो रात को सो ही न पाएं। रेडी होने के बाद एक सेल्फी का बांट-बंटवारा ज़रूर होता होगा। कितनी खुशी होती है न सच में एक गुड मॉर्निंग के मैसेज से ही। ये बस वही समझ सकते जिन्होंने प्यार वाला खतरा मोल लिया है। 

 दरअसल, ये सारी चीजें दिल को ही नहीं हमारी आत्मा को भी सुकून सा दे जाती है। आपको एक बात पता है क्या? भगवान ने हमें एकदम सिंपल और आसान सी ज़िंदगी दी हुई है। हम खुद ही हैं जो इसे इतना कठिन बना देते हैं कि जीना मुश्किल हो जाता है। हमनें इतने रिश्ते-नाते बना लिए हैं, इतने दोस्त बना लिए हैं कि एक समय बाद जिंदगी मुश्किल लगने लगती है। हमनें इतनी ख्वाहिशें पाल रखी हैं कि जिंदगी बोझ लगती है। ज्यादा ज्ञान तो नहीं दे दी? ख़ैर... 

 रिलेशनशिप में आने से पहले और बाद आपमें इतने बदलाव आ जाते हैं जिसका आपने कभी ध्यान नहीं दिया होगा। और ऐसे बदवाल का क्या भरोसा जिसे आप खुद न देख पाएं। हमारे नज़र में 90% रिलेशनशिप बस कुछ पल के लिए ही बनते हैं। जो कि लाईफ को कम्पलिकेटेड बना देते हैं जैसे मैथमेटिक्स। 

रिलेशनशिप में आने के बाद एक समय ऐसा भी आता है कि अॉनलाईन आने का वेट करने के बजाय आप 'लास्ट सीन' चेक करते हैं। मैसेज सीन चेक करते हैं। उन सारी हरकतों पर एकनजर डालना शुरू करते हैं जिससे सामने वाले को दिकक्त हो। कब-कब आनलाईन था/थी। फोन देर से बिजी आ रहा है। किन दोस्तों के साथ घूमने जा रहे हो या जा रही हो। वगैरह..वगैरह। 
 
ये किस्सा हर दिन का हो जाता है। ये बहुत कॉमन हो जाता है। जो पहले ये सोचते थे कि बात हो जाए, वो अब झगड़े करने के बहाने ढूंढते हैं। हर दिन एक नयी प्रॉब्लम आ जाती है। वही चिक-चिक, चिल्ल पों हर रोज। या यूं कहिए यह एक दिनचर्या बन जाती है। हमारी वो सारी अच्छी आदतें सामने वाले को बूरी लगने लगती हैं।

रोना-धोना और फिर खाना-पीना बंद। घर में कोई पूछे हुआ क्या है? तो एक जवाब मिलता है कुछ नहीं मूड खराब है। ये मूड भी सोचता होगा कि मैं हर दिन ही ख़राब कैसे हो जाता हूं। फिर और मुश्किल जिंदगी। जानू, जान, बाबू, सोना ये सारे शब्द किसी कटघरे में खड़े होकर चिढ़ा रहे होते हैं।

और फिर जब एकदम दिमाग आउट अॉफ कंट्रोल हो जाता है तो सामने वाला दो शब्द गाली भी सुन लेता है। जो पूरे हाथ पर बलमा के नाम का टैटू गोदवा लिये होते हैं, वो ये भी सोचते हैं कि यार उसके नाम का मैने टैटू क्यों करवाया। चिढ़न सी होने लगती है उससे। फिर भी दिल में कहीं न कहीं प्यार जिंदा रहता है। 

आज कल तो ये हाल है कि एक लवर, एक क्रश, और एक क्लोज फ्रेंड। ये सारे टैग एक इंसान को इतना जकड़ लेते हैं कि वो रिश्तों मे ंही उलझ जाता है। उसे समझ नहीं आता कि क्लोज फ्रेंड मेरा प्यार है कि क्रश। दो पल वाले फेक रिश्तों में उलझ कर पारदर्शी रिश्तों को दफन कर देता है। 

फिर समय आ जाता है ब्रेकअप का। जूदा होने का। कुछ लोग ही ऐसे होते हैं जो कि आसानी से मूव कर जाते हैं। कुछ लोग इतना आहत हो जाते हैं कि उन्हें ये समझ नहीं आता कि अब क्या करें। जिंदगी खत्म सी हो गयी। कुछ नहीं सूझ रहा। उसे बस आज भी उस पल का इंतज़ार होता है कि शायद उसका एक मैसेज आ जाए...
 
नोट: जनाब आप युवा हैं, दिल फिसलना अट्रेक्शन होना कॉमन है। लेकिन किसी के साथ सीरियीस रिलेशनशिप में तभी आईये जब आपको विश्वास हो कि आप उसके ही रहोगे। उसका साथ हरदम दोगे। वरना ऐसे आई लव यू तो चाबी वाले गुड्डे-गुड़िया भी बोलते हैं। आपको प्यार करने का हक़ है लेकिन किसी का दिल दुखाना आपके हक़ में नहीं .. 

कोई ग़लती है तो माफ करना, ये मेरे खुद काे विचार हैं... 

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