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शंघाई नहीं सीवान कहिए जनाब, ड्रैगन ने अरुणाचल के 6 नाम बदले, हमने उसके 12 बदल डाले

Updated Mon, 24 Apr 2017 02:09 PM IST
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 Arunachal Names Row: here we have changed the name of china's 12 cities
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विस्तार

पड़ोसी मुल्क चीन की हस्ती भारत के गौरवशाली इतिहास की बुनियाद पर टिकी है। पूरा चीन भारतवर्ष के भगवान बुद्ध का अनुयायी है और उनकी शिक्षाओं पर चलने का दावा करता है। धर्म के अलावा चीन का नाम भी उधार का ही है। जानकार तो यहां तक बताते हैं कि यह भी भारत की देन है। ऐसा कहा जाता है कि ईसा से पूर्व 221वें वर्ष में शिह हुआंग ती नाम के राजा ने 'चिन' नामक राज्य का पहला राजवंश स्थापित किया था, जो बाद में चीन कहा गया, लेकिन इतिहासकार इस बात पर जोर देते हैं कि 'चीन' दरअसल संस्कृत भाषा से आया नाम है। संस्कृत के सिना से चाइना बना। यह भी कहा जाता है कि संस्कृत के 'सिम्हा' से चिन राजवंश काल में 'शिह' प्रचलन में आया, जिसका मतलब शेर होता है। ऐसा माना जाता है कि 'शिह' से ही चीन का नाम पड़ा।

विशेषज्ञ यह भी कहते हैं चीन में प्रचलित युद्धकला मार्शल आर्ट भी उसने भारत के क्षत्रियों से चुराई है। यह बिना हथियारों के कुशलता से लड़ने की कला है, जिसे बाद में चीन ने गोद ले लिया। सुना तो यह भी है कि चीन ने भारत की एक 'रेडीमेड संस्कृति' को अपनाया, जो वैदिक संस्कृति पर आधारित है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो भारत कई मामलों में चीन का गुरू है और उसने कई चीजें हमसे 'उधार' ले रखी हैं। लेकिन दुनिया भर में हुंकार भरने वाले ड्रैगन को इस बात का इल्म नहीं है और वर्षों से भारत के खिलाफ आग उगल रहा रहा है।

अब भारत-चीन की एक बार फिर पुराने मसले अरुणाचल प्रदेश को लेकर ठनी है। दलाई लामा की हालिया अरुणाचल यात्रा से नाराज चीन इतना खिसिया गया कि उसने अपने गुस्से का गुबार इस प्रदेश की 6 जगहों के नाम बदलकर निकाला। चीन अपनी इस हिमाकत पर भले ही अपने मुंह मिया मिट्ठू हो रहा हो, भारत ने भी साफ शब्दों में कह दिया है कि वह किसी भी मुगालते में न रहे। खैर, भारत सरकार जब कार्रवाई करे सो करे, हमने तो कर दी है। चीन के बारह बड़े शहरों के नाम हमने भारतीय अंदाज में बदल दिए हैं। जरा गौर फरमाइए: कि हमने चीन से कैसे लिया बदला:

चीन के शहरों के नाम          बदले नाम (Firkee टीम ने रखे हैं)

बीजिंग                                                                   बस्ती
शंघाई                                                                    सीवान 
चेंगदु                                                                        चेंबूर 
तिआनजिन                                                      तिनसुखिया    
चोंगकिंग                                                               चेरापूंजी   
गुआंगझाउ                                                       गाजियाबाद  
शेनझेन                                                            शाहजहांपुर 
वुहान                                                                   वडनगर
हारबिन                                                                    हापुड़  
सुझाउ                                                                सुजानगढ़ 
झेंगझाउ                                                          झुमरीतलैया    
चोंगकिंग                                                               चेरापूंजी  

चोंगकिंग चीन के पांच सेंट्रल शहरों की सूचि में से एक है। यह चीन के दक्षिण-पश्चिम में है। प्रशासनिक तौर पर चीन के चार सीधे नियंत्रण वाले शहरों में से एक यह है। बाकी तीन बीजिंग, शंघाई और तिआनजिन हैं। यह एक मात्र ऐसा शहर है जो समुद्री किनारे से काफी दूरी पर है। जनसंख्या की दृष्टि से यह चीन का सबसे बड़ा शहर है। 2015 में यहां की आबादी 49.17 मिलियन यानी करीब 4 करोड़ 90 लाख थी।

शंघाई चीन का सबसे बड़ा शहर और फाइनेंशियल हब कहा जाता है। खासकर यह शहर अपनी गगनचुंबी इमारतों और चमक-धमक के लिए जाना जाता है। 2015 में यहां की आबादी 24.15 मिलियन यानी करीब 2 करोड़ 40 लाख थी।

बीजिंग चीन की राजधानी है। बीजिंग का इतिहास पुराना है, लेकिन आज इसे आधुनिक वास्तुकला के लिए जाना जाता है। 2016 में यहां की आबादी 21.5 मिलियन यानी करीब 2 करोड़ 10 लाख थी।

तिआनजिन उत्तरपूर्वी चीन का बंदरगाह वाला शहर है। इस शहर की खास बात यहां की सतरंगी वास्तुकला है, जिसमें आपको यूरोपियन शैली की इमारतें भी मिलेंगी। 2015 में यहां की आबादी 15.47 मिलियन थी।

चेंगदु चीन के दक्षिण-पश्चिम के सिचुआन प्रांत की राजधानी है। यहां का इतिहास ईसा से चौथी शताब्दी पूर्व का है। यह शहर पांडा की तमाम प्रजातियों के संरक्षण के लिए जाना जाता है। यहां जायंट पांडा ब्रीड के लिए चेंगदु रिसर्च बेस बनाया गया है, जो कि पांडा का संरक्षण केंद्र कहलाता है। प्राकृतिक आवास में पांडा को देखने के लिए सैलानी यहां पहुंचते हैं। 2014 में यहां की आबादी 14.43 मिलियन थी।
  
गुआंगझाउ उत्तर पश्चिम में हांगकांग की पर्ल नदी से सटा विशाल बंदरगाह शहर है। यह शहर लोककलाओं के मंचन के लिए जाना जाता है। 2016 में यहां की आबादी 14.04 मिलियन थी।

शेनझेन चीन के दक्षिण-पश्चिम में हांगकांग को चीन की मुख्य भूमि से जोड़ने वाला महानगर है। यह शहर अपनी चमक-धमक लिए जाना जाता है। सैलानी यहां शॉपिंग करने पहुंचते हैं। 2016 में यहां की आबादी 11.91 मिलियन थी। 

शिजिआझुआंग उत्तरी चीन के हेबेई प्रांत का सबसे बड़ा शहर और राजधानी है। 2015 में यहां की आबादी 10.7 मिलियन थी। 

हारबिन चीन के उत्तरी प्रांत हीलोंगजिआंग की राजधानी है। 19वीं शताब्दी में रूसी इंजीनियरों यहां रेलरोड बनाने में भूमिका निभाई थी। 2010 में यहां की आबादी 10.64 मिलियन थी।

वुहान मध्य चीन के हुबेई प्रांत के बड़ी राजधानी है। यह कर्मशियल सेंटर भी है। 2015 में यहां की आबादी 10.61 मिलियन थी। 

सुझाउ शंघाई के पश्चिम में है और अपनी खूबसूरत नहरों, पुलों और बगीचों के लिए जाना जाता है। 2013 में यहां की आबादी 10.58 मिलियन थी।

झेंगझाउ चीन के पूर्व मध्य हेनान प्रांत की राजधानी और यलो रिवर के किनारे बसा महानगर है। यहां पिरामिड के आकार का हेनान म्यूजियम मशहूर है। 2015 में यहां की आबादी 9.568 मिलियन थी।  

चीन ने जिन 6 जगहों के नाम बदले हैं वे इस प्रकार हैं- वो-ग्याईलिंग, मिला री, कोईदेंगारबो री, मेनकुका, बूमो ला और नमकापब री।

अरुणाचल के असली नाम                                     चीनी नाम

कामेंग इलाके के उर्ग्येनलिंग मठ                        वो-ग्याईलिंग
मेचुका                                                                मेनकुका 
मिला रेस्पा                                                           मिला री
पहाड़ी नाम                                                  कोईदेंगारबो री
बुमला                                                                  बूमो ला
नामका-चू                                                       नमकापब री

 
अरुणाचल दो शब्दों अरुण और अंचल से मिलकर बना है। इसका मतलब होता है उगते सूर्य का पर्वत। राज्य की सीमाएं दक्षिण में असम, दक्षिणपूर्व में नागालैंड, पूर्व में म्यांमार, पश्चिम में भूटान और उत्तर में तिब्बत से मिलती हैं। यहां की राजधानी ईटानगर है और मुख्य तौर पर हिन्दी और असमिया भाषाएं यहां बोली जाती हैं। राज्य की ज्यादातर आबादी तिब्बती-बर्मी मूल की है और भौगोलिक दृष्टि से यह पूर्वोत्तर का सबसे बड़ा राज्य है। 1962 से पहले राज्य को नार्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (नेफा) कहा जाता था। संवैधानिक तौर पर यह असम का ही एक हिस्सा था। 1965 तक राज्य की देखभाल की डोर विदेश मंत्रालय के पास थी। 1965 के बाद असम के राज्यपाल के जरिए गृह मंत्रालय ने इसकी बागडोर संभाली। 1972 में इसे केंद्र शासित राज्य घोषित किया गया और इसका नाम 'अरुणाचल प्रदेश' रखा गया। 20 फरवरी 1987 को यह भारतीय संघ का 24वां राज्य बना।

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