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ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल ने भारत से लौटते ही एकदम कंगारू स्टाइल में यूं टर्न दे मारा है। भाईसाब घर पहुंचते ही मोदी के साथ ली गईं सेल्फियां और अक्षरधाम मंदिर की सीढ़ियों पर बैठकर बड़े ही श्रद्धाभाव से हुईं बातें भूल गए और बड़े ही कातिलाना अंदाज में 457 वीजा प्रोग्राम खत्म कर डाला। इधर ऑस्ट्रेलिया सरकार ने वीजा प्रोग्राम बंद करने का एलान किया और उधर 95 हजार भारतीयों के दिमाग में बिजली सी कौंध गई। ये वो भारतीय हैं जो इस वीजा प्रोग्राम से सीधे प्रभावित होंगे।
क्या है कि टर्नबुल ने भी अब उसी डगर पर कदम बढ़ा दिए हैं, जिसकी जमीन अमेरिका में दादा ट्रंप ने रखी थी। दादा ट्रंप ने कहा 'अमेरिका फर्स्ट' और टर्नबुल ने अब कह दिया 'ऑस्ट्रेलिया फर्स्ट'! माजरा ये है कि टर्नबुल को अब लगने लगा है कि उनके यहां की ज्यादातर नौकरियां विदेशी खा रहे हैं। एबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर 2016 तक ऑस्ट्रेलिया में काम करने वाले विदेशियों की संख्या 95, 757 थी। इसमें 78 फीसदी भारतीय थे। यानी कंगारू फर्स्ट की नीति में तेज रफ्तार चीतों पर गाज गिरेगी। वो ऐसे, क्योंकि अब तक 457 वीजा पॉलिसी के जरिए ऑस्ट्रेलिया में 4 साल के लिए दाना-पानी का जुगाड़ हो जाता था।
भारत से ज्यादातर आईटी प्रोफेशनल्स इस अवधि के लिए जॉब करने इस कंगारू देश जाते थे। अब भई चीते तो चीतें होते हैं... ऐसे में कंगारू उनसे पीछे रह गए! बतौर टर्नबुल विदेशियों की वजह से घर के लोगों को नौकरियां मिल नहीं पा रही थीं। अब ऐसे में किसे अच्छा लगेगा कि घर का आदमी फांके करे और मलाई कोई बाहर का खा जाए! लेकिन जिस वक्त टर्नबुल को यह ब्रह्म ज्ञान आया है, वह उनकी फितरत पर शंका खड़ी करता है। उन्हें कुछ नहीं तो उन सेल्फियों को फिर निहारने की जरूरत है जिनमें वे हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुस्कुराते और लंगोटिया यार की तरह नजर आ रहे हैं।
हालांकि अपने घर में विदेश कूटनीति से बेपरवाह टर्नबुल ने दलील यह दी है कि वह एक इमिग्रेशन देश हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कंगारुओं को तवज्जो न मिले। इसलिए 457 वीजा बंद।
कोई शक नहीं कि भारत को इस फैसले से फर्क ज्यादा पड़ेगा, लेकिन टर्नबुल ने पंगा ब्रिटेन और चीन से भी लिया है, क्योंकि इन देशों के नागरिक भी इस वीजे के तहत उनके देश में नौकरी जुगाड़ते हैं। विदेशियों की इस फितरत की वजह से टर्नबुल ने 457 वीजा को 'जॉब का पासपोर्ट' तक कहा। लेकिन भारतीयों से खासकर लोहा लेना ठीक नहीं होगा, यह बात वह जानते हैं, इसीलिए सेफ साइड लेकर भी चल रहे हैं, यानी टर्नबुल ने नई इमीग्रेशन पॉलिसी लाने के बारे में भी कहा है।
10 अप्रैल को टर्नबुल जब भारत आए थे तो उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद से मुकाबला, शिक्षा और ऊर्जा मुद्दों पर बात की थी और छह एग्रिमेंट्स पर साइन किए थे।
वैसे उड़ती हुई अटकलों से यह भी पता चला है कि टर्नबुल ने अपने लोगों से ये कहा है कि मोदी जी भारत में बेरोजगारी के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं, इसके लिए वह भारत में ढेर सारी नौकरियां पैदा करेंगे, यानी भारतीयों की नौकरियों का इंतजाम हो जाएगा। इसलिए अब 457 वीजा की जरूरत बहुत कम होने वाली है, क्यों न अब खाली होने वाली जगहों पर अपने कंगारू भाइयों को ही नौकरी पर रख लिया जाए! उड़ती हुई खबर यह भी है कि टर्नबुल ने यह डिप्लोमेटिक कदम उठाने के बाद मोदी जी साथ ली गईं सेल्फियों को एकबार फिर से निहारा और ठंडी सांस ली...!