कल तक यह कहा जा रहा था कि लोगों ने फालतू का हो-हल्ला मचा रखा है। नवजोत सिंह सिद्धू ने सिर्फ़ राज्यसभा से ही तो इस्तीफा दिया है। भाजपा में अब भी बने हुए हैं। आज सिद्धू पाजी ने सबका मुंह बंद करते हुए भाजपा से भी इस्तीफा दे दिया और बताया कि उनके लिए पंजाब से बड़ी कोई पार्टी नहीं है। अब पाजी भी क्या करें? पंजाब से खासा लगाव है उन्हें, 4 बार चुनाव भी जीत चुके हैं। फिर भी भाजपा को पता नहीं क्या सूझा कि उन्हें पंजाब से दूर रहने को कह दिया। वहां अच्छी खासी फैन-फॉलोइंग है सिद्धू पाजी की। भाजपा के पास कोई बड़ा चेहरा भी नहीं है पंजाब में, फिर भी अरुण जेटली को अमृतसर से चुनाव लड़वाया। पाजी मन मसोस कर रह गए और शायद उन्हीं की हाय लगी कि जेटली जी भी चुनाव हार गए।
आज पाजी बड़े ही कूल इंसान माने जाते हैं, एक समय था जब उन्हें आए दिन गुस्सा आता था। द कपिल शर्मा शो में देखकर नवजोत सिंह सिद्धू के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता कि वो इंडिया की बड़ी-बड़ी कॉन्ट्रोवर्सीज़ में रहे होंगे। आपको पता है कि सिद्धू के नाम पर एफआईआर दर्ज है? उन्हें उम्र कैद की सज़ा होने वाली थी? आइए बताते हैं उनकी ज़िंदगी से जुड़े कुछ विवादों के बारे में।
यह घटना है सन् 1996 की जब ओडीआई के तीसरे दिन इंग्लिश टूर पर गए क्रिकेट खिलाड़ियों के बीच नवजोत सिंह सिद्धू ने इस्तीफा दे दिया। उस वक्त के मैनेजर संदीप पाटिल का कहना था कि सीनियर खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे थे इसलिए तीसरे ओडीआई में सिद्धू और मंजरेकर को ड्रॉप किया गया पर बात का बतंगड़ बना दिया गया। अब बतंगड़ कैसे बना, आइए बताते हैं। उस दिन इंडियन टीम के कप्तान अज़हरुद्दीन ने टॉस जीता और बैटिंग का फैसला किया। न ही अज़हरुद्दीन ने और न ही मैनेजर संदीप पाटिल ने सिद्धू को बताया था कि उन्हें निकाला जा चुका है, फिर भी कुछ खिलाड़ियों को इसकी भनक थी।
जैसे ही अज़हरुद्दीन ने बैटिंग का फैसला लिया, ओपनर रहे सिद्धू ने पैड चढ़ाना शुरू कर दिया। कुछ खिलाड़ी दबी हंसी के साथ चुटकी ले रहे थे तो कुछ ने सरदारों पर बने चुटकुले सुनाने शुरू कर दिए। इससे सिद्धू ने अपमानित महसूस किया और ट्रिप वहीं ड्रॉप कर दिया। उन्होंने कहा कि मैंने अपने पिता से वादा किया था कि अपनी ज़िंदगी इज़्ज़त के साथ जीऊंगा और जबतक मैं इस टूर पर रहूंगा, ऐसा संभव नहीं है।
बात कुछ बड़ी नहीं थी, पर जब बात बढ़नी होती है तो बढ़ ही जाती है। यह घटना तब की है जब एक क्रिकेट ट्रिप पर सिद्धू अज़हरुद्दीन, कपिल देव और मनोज प्रभाकर के साथ अज़हर के कमरे में फिल्म देख रहे थे। फिल्म देखते हुए सिद्धू ने कहा कि ये फिल्म उन्होंने देखी हुई है। फिर उन्होंने कपिल से कहा कि वो दूसरी डीवीडी अपने कमरे में ले जाना चाहते हैं ताकि वो दूसरे प्लेयर्स के साथ कोई दूसरी मूवी देख सकें। जैसे ही सिद्धू डीवीडी की ओर बढ़े, प्रभाकर ने चिल्लाकर कहा कि डीवीडी को हाथ भी न लगाना! सिद्धू ने सोचा कि चलो भैया, सीनियर हैं, मान लेते हैं.. और वो वही फिल्म देखने बैठ गए। फिल्म देखते-देखते सिद्धू का रसगुल्ले खाने का मन हुआ जो वो खुद ही लेकर आए थे। जैसे ही रसगुल्ले उठाने वो टेबल की ओर बढ़े, प्रभाकर ने उन्हें फिर से रसगुल्लों को हाथ लगाने से रोका। इस बार पाजी ने पूछा - आप लेकर आए हैं ये? प्रभाकर ने जवाब दिया कि मुझे नहीं पता कौन लेकर आया है पर मैं कह रहा हूं तो मत छूओ। इतने पर पाजी का पारा चढ़ गया और बिना एक भी मिनट की देरी के उन्होंने सीनियर जी को एक थप्पड़ जड़ दिया।
और वो कहते हैं कि उन्हें इस बात का पछतावा भी है। पर पछतावा इतनी देर में हुआ कि खेत चुगने के बाद वाली चिड़िया का भी नाम-पता गुम हो गया था। अब पाजी ने चीटिंग की थी तो हमें कैसे पता! हमें बिग बॉस ने बताया भैया। वहीं लाइ डिटेक्टर टेस्ट हुआ था। तब पाजी ने कहा कि हां, उन्होंने चीटिंग की थी। उन्होंने शरजाह में कर्टनी वॉल्श का कैच बाउंड्री रोप में पकड़ा था। और इंडिया वो मैच जीत गई थी। अब देखो कर दी न चीटिंग! पाजी के इस बयान को लेकर खूब बवाल भी हुआ। कई लोग इंडियन क्रिकेट टीम को कोसने आ गए तो कई लोगों ने कह दिया कि सिद्धू ने बिग बॉस के लिए झूठ बोला होगा, ऐसे शोज़ भी तो मसाला मांगते हैं न!
कई लोग ये ख़बर सुनकर चौंक जाते हैं। लोगों को विश्वास ही नहीं होता कि सिद्धू पाजी कभी ऐसे भी रहे होंगे। पर सच्चाई यही है मेरे दोस्त! यह घटना है दिसम्बर 1988 की। 27 दिसम्बर को सिद्धू अपने दोस्त के साथ मारुति में सवार हो पटियाला की सड़कों पर निकले। मामूली-सी बात थी पर सिद्धू पाजी उन दिनों कुछ भी मामूली थोड़ी रहने देते थे। गुस्सा सातवें आसमान पर होता था। गुरनाम सिंह नामक ट्रांसपोर्टर ने उन्हें ओवरटेक किया। इस बात पर पहले बहस हुई और फिर हाथा-पाई हो गई। अब सिद्धू पाजी का हाथ भी तो हथौड़ा है न। 55 वर्षीय गुरनाम सिंह पहले से दिल के मरीज़ थे। उन्हें थप्पड़ पड़ा और वो वहीं मर गए। इस केस में जो सबसे बड़ी गलती इन्होंने की वो ये कि मारने के बाद गुरनाम सिंह के गाड़ी की चाबी लेकर वो भाग गए और मुड़कर मदद भी नहीं की। इस मामले में सिद्धू मोस्ट वॉन्टेड बन गए थे पर उन्होंने बेल ले ली और बाद में ये साबित कर दिया कि गुरनाम सिंह पहले से बीमार थे इसलिए मर गए, सिद्धू का उन्हें मारने का कोई इरादा न था।
नवजोत सिंह सिद्धू लुधियाना में भाषण दे रहे थे। उन्होंने सिखों के पांचवे गुरू, गुरू अर्जन सिंह के बोले गए कुछ शब्द दोहराए और कहा कि ये शब्द महाभारत के अर्जुन ने कहा था। इस पर सिख गुरुओं ने उन्हें खूब लपेटा था। सिद्धू तबतक ठंडे रहने लगे थे और इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि जब ईश्वर उनके साथ हैं तो कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। ... और आज नवजोत सिंह सिद्धू ने भाजपा के ख़िलाफ़ खुले मंच पर बोलकर यह तो जता दिया है कि पार्टी ने उन्हें उचित स्थान नहीं दिया पर साथ ही पार्टी से अपने मधुर संबंध भी खत्म कर लिये हैं।
ख़ैर, ऐसी रिश्तेदारी का करते भी क्या? सिद्धू को पंजाब से दूर रखा था, अब यह कैसे हो सकता है भला। भाजपा ने ऐसा क्यों सोचा ये तो वही जाने क्योंकि पंजाब में सिद्धू के अलावा उसके पास कोई मज़बूत चेहरा भी नहीं था। अकाली दल की सहायता के बिना वहां जीतना बहुत ही मुश्किल था, अब मुश्किलें और बढ़ेंगी गुरू.. देख लो! सिर्फ़ ताली ही ठोकते रह जाओगे। सिद्धू पाजी तो चले गए।