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बेटा कहां रहते हो… जी दिल्ली… नहीं, एक्चुअली नोएडा में रहता हूं। अगला सवाल- नोएडा में कहां… जी खोड़ा- पोस्ता 1। हम एनसीआर में रहने वाले लोगों को ऐसे सवालों का सामना अपने होम टाउन में करना पड़ता है। उन्हें लगता है कि खोड़ा एक पॉश इलाका है जहां वर्ल्ड का फेमस पास्ता कोई बंगाली आंटी बनाती हैं। जिसकी वजह से इसका नाम खोड़ा पोस्ता पड़ गया लेकिन सच्चाई ये है कि खोड़ा पोस्ता, शायद धरती की वो सबसे गंदी जगह हैं जहां इंसान इतनी बड़ी मात्रा में एक साथ रहते हैं। ज्यादा लोग रहने की वजह से यहां गंदगी नहीं है, बल्कि गंदगी इसलिए है क्योंकि लोग सफाई को इग्नोर करते हैं। नोएडा-गाजियाबाद में रहना अपने आप में एक चैलेंज है। अगर आपके पास अपनी बाइक या कार नहीं है तो आपकी जिंदगी ऑटो वालों के मूड पर डिपेंड करेगी, जोकि कुछ इस तरीके के हो सकते हैं।
नोएडा में शान से चलती मेट्रो के स्टेशनों के नीचे कितनी चिल्ल पों होती है, ये वो ही समझ सकता है जिसका पाला इनसे रोज पड़ता है। जैसे ही आपका कदम मेट्रो की सीढ़ी के आखिरी पायदान पर पहुंचेगा तभी आपको महसूस होगा कि 3-4 आदमी आपको खींचने की कोशिश कर रहे हैं। ये कोई और नहीं, बल्कि ऑटो वाले हैं जो आपको रस्सी की तरह इस्तेमाल करते हुए एक दूसरे से खींच रहे होते हैं। नोएडा में ऑटो वालों का एक अजीब रवैया है जो आपको ऐसे घसीटता है, जैसे आपके बिना उनका ऑटो चल ही नहीं सकता।
कुछ एक ऑटो वाले बड़े रिजिड होते हैं। 6 सीट वाले ऑटो में 10 लोग अड़स कर बैठे हुए हैं लेकिन वो 11वीं सवारी के इंतजार में रुका रहता है, अंदर लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही होती है, पसीने की सड़ांध से पूरा ऑटो महक रहा होता है, लेकिन ये ऑटो वाले भइया अंगद के पैर की तरह, अपना ऑटो रोक लेते हैं… और बस चिल्लाते रहते हैं… आओ, अकेले… 12-22 लेबर-चौक, ममूरा, 62…
कुछ ऑटो वालों को इस बात का गुमान होता है कि ऑटो उनका है तो मर्जी भी उनकी चलेगी, बैठना हो तो बैठ लो… नई यई उतर जाओ… इस एटीट्यूड वाले ऑटो ड्राईवर सवारियों से भरी गाड़ी में बीड़ी जरूर सुलगाते हैं, अगर इनके धुएं से किसी का जी मिचलाने लगता है तो फिर ऐसे मुंह बनाते हैं कि जैसे बीड़ी नहीं पी रहे, सूर्य भगवान को अर्घ्य दे रहे हैं… टोक कर सारा मूड ही खराब कर दिया।
इनका मुंह दिलबाग (गुटखा) से भरा होता है, आपको कहीं भी जाना हो, ये वहां जाएंगे या नहीं जाएंगे… सिर्फ इशारे में बताते हैं। समझ में आए तो बैठो नहीं तो कोई बात नहीं। तुम्हारी मंजिल की कीमत हमारे मुंह में दबे दिलबाग से ज्यादा नहीं हो सकती।
सूनसान सड़क हो, और ऑटो का घंटों से इंतजार हो। ऐसे वक्त में धूल उड़ाता हुआ ऑटो दिखता है तो मानो किसी फिल्म की हिरोइन दिख गई। आदमी दूर से ही हाथ दिखाने लगता है, स्पीड देखकर अंदाजा हो जाता है कि ये रुकने वाला नहीं। ऑटो वाला भी सवारी को ठीक वैसे ही इग्नोर कर देता है जैसे रुठा हुआ हीरो, बेवफा हीरोइन को ठुकराते हुए चला जाता है। और वो हीरोइन डबडबाई आंखों से रोकने की कोशिश ही करती रह जाती है।
गानों का शौकीन तो हर कोई होता है लेकिन ऑटो वाले विशेष प्रकार के संगीत के मुरीद होते हैं। ढिंक-चिंक ढिंक-चिक म्यूजिक इतनी तेज बज रहा होता है कि गाना आपको सुनाई नहीं देगा। छरहरी छवि वाले ये ड्राइवर, अक्सर एक हाथ छोड़कर और एक पैर सीट पर चढ़ाकर इतनी तेज ऑटो चलाते हैं कि इनकी सवारियां मन ही मन हनुमान चालीसा पढ़ने लगती हैं।