Home Panchayat Indians Sent Most Remittance Back Home In 2016 Says Un Report

इस मामले में चीन को पीटकर नंबर वन बने इंडिया वाले

Updated Thu, 15 Jun 2017 06:25 PM IST
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Indians sent most remittance back home in 2016, says UN report
- फोटो : demo
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दुनिया के दूसरे देशों में बसे भारतीयों के खाते में एक बड़ी उपलब्धि दर्ज हुई है। अब वह अपने घर पैसे भेजने के मामले में दुनिया में नंबर वन हो गए हैं। उन्होंने इस मामले में चीनियों को पछाड़ दिया है।

2016 में भारतीयों ने 62.7 अरब डॉलर (आरबीआई की ताजा मुद्रा विनिमय दर के मुताबिक करीब 40.3 खरब रुपये) की राशि भारत में अपने घरों को भेजी।

इससे भारत सबसे अधिक रेमीटेंस पाने वाला देश बन गया है। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्रसंघ (यूएन) की एक रिपोर्ट में दी गई है। खास बात यह कि इससे करोड़ों लोगों को गरीबी से उबारने में मदद मिली है। रेमीटेंस उस राशि को कहते हैं, जो प्रवासी अपने देश में रहने वाले अपने परिवारों को भेजते हैं।

यूएन इंटरनेशनल फंड फॉर एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट (आईएफएडी) द्वारा कराए गए अध्ययन ‘वन फैमिली एट ए टाइम’ के मुताबिक 2016 में सभी देशों के कुल करीब 20 करोड़ प्रवासियों ने रेमीटेंस के रूप में अपने घरों को 445 अरब डॉलर से अधिक राशि भेजी है।

रिपोर्ट के मुताबिक कुल रेमीटेंस का 80 फीसदी हिस्सा 23 देशों को मिलता है, जिसमें सबसे आगे हैं भारत, चीन, फीलीपींस, मेक्सिको और पाकिस्तान। वहीं सर्वाधिक रेमीटेंस भेजने वाले 10 देश कुल सालाना भेजे जाने वाले रेमीटेंस में करीब आधा योगदान करते हैं। इनमें अमेरिका, सऊदी अरब और रूस सबसे आगे हैं।
 

अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016 में भारत को सबसे अधिक 62.7 अरब डॉलर रेमीटेंस मिला। इसके बाद चीन को 61 अरब डॉलर, फीलीपींस को 30 अरब डॉलर और पाकिस्तान को 20 अरब डॉलर रेमीटेंस मिला है। 2007 में भारत 37.2 अरब डॉलर रेमीटेंस के साथ चीन के बाद दूसरे स्थान पर था। तब चीन को 38.4 अरब डॉलर रेमीटेंस मिला था।

विकासशील देशों में गरीबी मिटाने में मददगार
अध्ययन के मुताबिक, विकासशील देशों को मिलने वाले रेमीटेंस में गत एक दशक में 51 फीसदी वृद्घि दर्ज की गई है, वहीं इन देशों के प्रवासियों की संख्या में 28 फीसदी वृद्धि हुई। विकासशील देशों में पहुंचने वाले रेमीटेंस से करोड़ों लोग गरीबी के दलदल से बाहर निकल रहे हैं और टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिल रही है।

एशिया सब पर भारी
अध्ययन के मुताबिक सबसे अधिक 7.7 करोड़ प्रवासी एशिया के होते हैं, जिनमें से 4.8 करोड़ एशियाई क्षेत्र में ही काम करते हैं। गत एक दशक में एशिया और प्रशांत क्षेत्र को मिलने वाले रेमीटेंस में 87 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई और यह अब 244 अरब डॉलर हो गया है। वहीं इस क्षेत्र के प्रवासियों की संख्या में महज 33 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। एशिया अब भी सर्वाधिक रेमीटेंस हासिल करने वाला क्षेत्र बना हुआ है। कुल रेमीटेंस में इस क्षेत्र का अनुपात 55 फीसदी तो कुल प्रवासियों में इस क्षेत्र का अनुपात 41 फीसदी है।
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