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कुछ खास मंदिरों में महिलाओं की एंट्री पर बैन सुना था, मकबरों और मजारों पर महिलाओं का प्रवेश निषेध सुना था, अब सुन रहे हैं कि जापान के एक टापू को भी महिलाओं की एंट्री रास नहीं आ रही। भई ये तो गजब है। अगर महिलाओं को बैन करने की यही रफ्तार रही तो वो दिन दूर नहीं जब मंगल ग्रह की यात्रा का सपना संजोए औरतों को भी बैन कर दिया जाएगा। चंद्रमा पर भी इंसान यात्रा की प्लानिंग में जुटा है तो बहुत संभव है कि चंदा मामा को भी अपनी बहनों यानी महिलाओं से दूर से ही रिश्ता बनाए रखना होगा।
द इंडिपेंडेंट की खबर के मुताबिक जापान के ओकिनोशिमा टापू महिलाओं के जाने पर सख्त मनाही है और पुरुषों को भी इस पर जाने के लिए कड़ी परीक्षा से गुजरना होता है। पुरुषों को अपनी पवित्रता का प्रमाण देना होता है, इसके लिए वे निर्वस्त्र होकर समंदर के पानी में नहाते हैं।
दरअसल, हाल ही में इस टापू को यूनेस्को ने इस टापू को विश्व की धरोहरों में शामिल किया, तो महिलाओं के बैन वाली बात से दुनिया रूबरू हो गई। कहा जाता है कि इस टापू का धार्मिक महत्व यहां महिलाओं को आने की इजाजत नहीं देता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टापू पर मुनाकाता ताइशा ओकित्सु नाम का मंदिर है। इसमें समुद्र की देवी की पूजा की जाती है। 17वीं शताब्दी में यहां समुद्री यात्रा के दौरान पूजा की जाती थी ताकि जहाज सुरक्षित रहें। नियम यह भी है कि हर वर्ष 27 मई को यहां कुल 200 पुरुषों को ही आने दिया जाता है।
यह अनोखा टापू 700 वर्ग मीटर में फैला हुआ है, जो जापान के दक्षिण पश्चिमी हिस्से में है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चौथी से लेकर नौवीं शताब्दी तक कोरियाई प्रायद्वीप और चीन के बीच व्यापार के केंद्र के रूप में यह टापू हुआ करता था।
1904-05 के बीच रूस और जापानी के बीच हुए समुद्री युद्ध में जान गंवाने वालों को यहां श्रद्धांजलि दी जाती है।
महिलाओं की इस टापू पर नो एंट्री के पीछे कोई खास वजह तो नहीं बताई गई, लेकिन माना जाता है कि महिलाओं को पीरियड्स की वजह से उन्हें यहां आने से रोका गया है।
एक कारण यह भी माना जाता है कि प्रचीन समय में लोग समुद्री यात्रा के दौरान महिलाओं की जान को जोखिम में नहीं डालना चाहते थे, इसलिए वे उन्हें इस टापू पर भी नहीं आने देते थे, तब से उसी परंपरा का यहां पालन हो रहा है।