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प्रणव धनावड़े, हमारे ख्याल से यह पहला लड़का होगा जो बिना सिलेब्रिटी स्टेटस के सोशल मीडिया पर दो बार वायरल हुआ। हम लोगों की मेमोरी मोबाइल के एसडी कार्ड जैसी है। जब भर जाता है, तो हम कुछ फाइलें डिलीट कर देते हैं। प्रणव धनावड़े भी उसी तरह ही एक फाइल है, जो बहुत से दिमागों से निकल गई होगी।
प्रणव धनावड़े पेशेवर क्रिकेट इतिहास में 1000 रन की पारी खेलने वाले पहले बल्लेबाज़ हैं। कमाल है न... जो इंसान इतिहास में अमर है वो सोशल मीडिया की हवा में बह गया।
ख़ैर, इस बार प्रणव दूसरे कारण से चर्चा में हैं। मुद्दा यह है कि सचिन तेंदुलकर के सुपुत्र अर्जुन तेंदुलकर को वेस्ट ज़ोन की अंडर-16 टीम को टीम में सिलेक्ट कर लिया गया और प्रणव को नहीं।
क्यों? क्योंकि भईया अर्जुन के नाम के पीछे ‘तेंदुलकर’ लगा है। एक तो मुझे यह समझ नहीं आता कि ये क्रिकेट टीम है या कांग्रेस पार्टी, जो आपकी सिलेक्शन आपकी औकात डिसाइड करती है।
ख़ैर जो भी हो, मैं अर्जुन का पक्ष नहीं लूंगा और न ही प्रणव को सपोर्ट करूंगा। मैं तो उसे ढूंढ रहा हूं, जिसने इस बात का बतंगड़ बनाया है। अरे भाई, 16 साल के लड़कों का करियर अभी शुरु भी नहीं हुआ और हम कंपेयर करने पर उतर आए। अब कल को चीफ सिलेक्टर संदीप पाटिल भुवनेश्वर कुमार को इसलिए बाहर कर दें कि उसने सेंचुरी नहीं बनाई या शिखर धवन को इसलिए आराम दिया जाए कि उसने नाज़ुक मौके पर विकेट नहीं लिया, तो यह बेमानी होगी।
भुवनेश्वर गेंदबाज़ और शिखर बैट्समैन। अगर वो अपने रोल में अनफिट हों, तो वो टीम पर भार हैं। इसी तरह प्रणव एक स्पेशलिस्ट बैट्समैन हैं और अर्जुन एक बॉलिंग ऑलराउंडर। टीम के हिसाब से कहें तो मेरे ख्याल से अर्जुन ‘जेम्स फॉक्नर’ हैं और प्रणव ‘ऐरॉन फिन्च’... अब ऐसे में वो अपने रोल में फिट न बैठें तो आप बनाइए।
दूसरी बात, जब भी कोई टीम बनती है वो रोल के हिसाब से बनती है। 15 की टीम में सभी बल्लेबाज़ नहीं होते। हर कोई एबी डीविलियर्स, क्रिसे गेल, विराट कोहली नहीं खरीदता। टीम का एक बैलेंस होता है जिसमें बैटिंग-बॉलिंग एक अलावा बॉलिंग हैंड, बॉलिंग स्टाइल, ऑलराउंडर, फिनिशर, एंकर जैसे रोल भी देखने पड़ते हैं।
जो लोग इस बात पर हंगामा और बवाल करते हैं वो एकदम उन सांसदों की तरह बिहेव करते हैं, जिनको लगता है कि वो जो बोल रहें हैं वो सही और किसी की सुननी ही नहीं। अर्जुन और प्रणव का भविष्य सुनहरा हो यह सब चाहते हैं मगर इसके लिए दोनों को क्रिकेट खेलना है, पॉलिटिक्स नहीं। दोनों ने जो भी परफॉर्म किया वो दुनिया के सामने है। प्रणव की सिर्फ़ एक इनिंग्स उन्हे टीम में जगह नहीं दिला सकती। इरफान पठान ने पाकिस्तान के खिलाफ ‘हैट-ट्रिक’ ली थी, आज वो टीम से बाहर हैं, युवराज इंडिया को तीन वर्ल्ड कप जिता चुके हैं, मगर आज वो अंतिम 11 में नहीं हैं। पब्लिक स्पेस में आपकी परफॉर्मेंस बोलती है, सरनेम नहीं...
सचिन अमीर हैं, सुपरस्टार हैं.. वो अर्जुन को हर सुविधा दिला सकते हैं। और क्यों न दिलाए जी, हमारे पेरेंट्स ने भी अपनी हैसियत के अनुसार हर चीज़ मुहैया करवाई तो सचिन तेंदुलकर क्यों न करें? सचिन अर्जुन को ट्रेनिंग दिला सकते हैं, उन्हें ज़बरदस्ती दूसरा सचिन नहीं बना सकते।
प्लीज़, सोशल मीडिया पर वो ‘आंटियां’ मत बनो, जो धूप सेंकते हुए पड़ोस के बच्चों पर कमेंट करती हैं। किसी को भी, किसी से कंपेयर न करो। प्रणव को अर्जुन से और अर्जुन को प्रणव से कंपेयर न करो, समझे? अभी उन्हें खेलने दो, ज़रूरी नहीं न कि हर तेंदुलकर 16 साल की उम्र में डेब्यू करे और 16 साल में डेब्यू करने वाला सचिन ही हो...