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पटना से 150 किमी दूर औरंगाबाद जिले के नबीनगर पॉवर जेनेरेशन कंपनी की सुरक्षा में लगे सी आई एस एफ़ के एक जवान ने गुस्से में आकर अपने चार सीनियर की जान ले ली। ऐसा कहा जा रहा है कि वो छुट्टी न मिलने की वजह से गुस्से में था और 12:30 बजे के करीब जब सब खाना खाकर बैरक से अपनी राइफल लेने लौटे तो नाराज़ कॉन्स्टेबल बलवीर सिंह ने 32 राउंड फ़ायर किए। इससे पहले कि जवान पर काबू पाया जाता 4 अन्य जवान अपनी जान गंवा चुके थे।
बलवीर अलीगढ़ का रहने वाला है और उसकी ड्यूटी अफ़सरों के घरों की सुरक्षा में लगाई गई थी। पूछताछ में उसने कहा कि वो काफ़ी गुस्से में था इसलिए उसने ऐसा किया। वो ठीक-ठीक कारण नहीं बता रहा है। इसके अलावा वो अपने घर में किसी का क़त्ल होने की भी बात कर रहा है। अफ़सरों का कहना है कि छुट्टी न मिलने जैसी कोई बात नहीं है क्योंकि अभी 4 जनवरी को ही वो लंबी छुट्टी से लौटा था।
अब कारण जो भी हो एक बात तो साफ़ है कि बलवीर सिंह की मानसिक हालत बिल्कुल ठीक नहीं थी, वो ज़ाहिर तौर पर किसी बात को लेकर काफ़ी परेशान और गुस्से में रहा होगा जिससे उकता कर उसने ऐसी हरकत की। सम्बंधित अधिकारियों का कहना है कि बलवीर पिछले एक साल में करीब ढाई महीने की छुट्टी ले चुका है। वो अभी ड्यूटी पर एक योग कोर्स करके लौटा था।
ऐसी घटनाएं पहले भी होती आई हैं जब जवानों ने परेशान होकर आत्महत्या कर ली या अपने साथियों की जान ही ले ली। ये साड़ी घटनाएं सिर्फ़ एक बात साबित करती हैं कि ये जवान कितनी बुरी परिस्थितियों में नौकरी करते हैं। दोस्तों कभी आपको मौका मिले तो नाटक 'कोर्ट मार्शल' ज़रूर पढियेगा। इस नाटक को पढ़कर आपको इस बात का अंदाज़ा हो जाएगा कि बड़े अफ़सर किस प्रकार से जवानों से बर्ताव करते हैं और इसके अलावा फ़ौज आदि में किस तरह की परेशानियों का सामना एक जवान को करना पड़ता है।
यहां हम ये नहीं कह रहे कि बलवीर सिंह के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ होगा लेकिन हाल ही में कई दूसरे जवानों ने सोशल मीडिया पर जिस तरह से अपनी परेशानी रखी है और उसके बाद जिस तरह से सम्बंधित फोर्सों द्वारा उन जवानों को पागल घोषित किया गया है, इन सबसे ये साफ़ हो जाता है कि अंदरूनी मामला बहुत गड़बड़ है।
सोशल मीडिया पर ये वीडियो सामने आने के बाद बहुत लोगों ने बहुत कुछ किया। किसी ने कमेंट में लिखा कि "जवान है इतना भी नहीं सह सकता"। आपको नहीं लगता कि ये बेहद शर्मनाक बात है। हमको समझना होगा कि ये जवान हमारे नौकर नहीं हैं। ये भी इस देश के नागरिक हैं और इनके पास भी वो सारे अधिकार मौजूद हैं जो हमारे पास हैं। हम कैसे किसी को बुरी परिस्थितियों में रहने के लिए मजबूर कर सकते हैं?
क्या हमारा ये हक़ बनता है कि हम किसी जवान से कहें कि तुम सेना में हो और तुम्हें घटिया से घटिया हालातों में रहने की ट्रेनिंग मिली है तो वैसे ही रहो। तुम्हें भरपेट खाना खाने,छुट्टी लेने आदि का अधिकार नहीं है। हम भूल जाते हैं कि ये वो लोग हैं जो रात-रात भर ड्यूटी करते हैं, एक ही जगह पर गह्न्तों खड़े रहते हैं, अफ़सरों को सलाम ठोकते-ठोकते इनके हाथ नहीं थकते।
सरकार को समय रहते इसपर काम करना होगा। ये एक ऐसा युद्ध है जिसमें हमारा देश अपनों से ही हार रहा है। इन जवानों के पास कोई जादुई शक्ति मौजूद नहीं है, ये भी हमारी तरह इंसान हैं। बलवीर सिंह ने जो किया बेहद गलत किया, इसके लिए उसे कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए, अब वो एक अपराधी है।
सुरक्षा कर्मियों को अपराधी में तब्दील नहीं होने देना है, क्योंकि ये इस देश का सबसे बड़ा नुक्सान होगा।