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भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तानी सेना की अदालत ने सोमवार को फांसी की सजा सुनाई। इसके बाद से कुलभूषण का मुद्दा भारत-पाक मीडिया में छाया हुआ है। मंगलवार को संसद में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने विपक्ष की कार्यवाही की मांग पर कहा कि कुलभूषण के मामले में 'आउट ऑफ द वे' ही क्यों न जाना पड़े, सरकार उन्हें बचाएगी। उधर अपने ही मुल्क में अपनी मीडिया और भारत की तरफ से तीखी आलोचनाएं से घिरे नवाज शरीफ सुषमा के तेवर देख थरथराने लगे और कह उठे 'अल्लाह बचाए मुझे तेरे वार से...' लेकिन इधर गृहमंत्री ने भी कह दिया है कि सरबजीत का... कुलभूषण का... सबका बदला लेगा रे भारत!
टीवी पर गरमागरम बहसों के बीच मंगलवार को सवेरे के अखबारों ने भी नवाज शरीफ और पाकिस्तानी सेना को लपेट लिया। पाकिस्तान की प्रिंट मीडिया ने नवाज को चेताया कि दोनों परमाणु देशों के बीच पहले से क्या कम आफत थी जो एक और पंगा ले लिया गया। मीडिया की दलीलों से लग रहा है कि नवाज सरकार ने एक बार फिर उड़ता हुआ तीर ले लिया है। उसने चेतावनी भी दी कि फूंक-फूंक पर पाक सरकार कदम रखे और सबूत हो तो ही कुलभूषण के मामले में आगे बढ़े, नहीं तो लेने के देने पड़ जाएंगे।
'डॉन' ने लिखा कि यह फैसला ऐसे वक्त में आया है जब पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव पहले से जारी है।
अखबार में पाक के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल तलत मसूद के हवाले से लिखा गया है कि पाकिस्तान अर्से से यह साबित करने कर रहा है कि मुल्क की अस्थिरता में भारत का हाथ है। इसे जताने और मदद मांगने के लिए पाक राजदूत भी कई देशों में चक्कर लगा आए, लेकिन सहानुभूति भी हाथ नहीं लगी। ऐसे में भारत के एक्शन के लिए तैयार रहना चाहिए।
'द नेशन' ने लिखा कि सोमवार को सैन्य अदालत एक हाई प्रोफाइल भारतीय जासूस को मौत की सजा सुनाकर दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच लंबे समय से जारी तनाव को और बढ़ा दिया। अखबार ने रक्षा जानकारों के हवाले से लिखा है कि पाकिस्तान को यह देखना चाहिए कि कुलभूषण दी गई सजा से दोनों देशों के बीच कहीं राजनीतिक और कूटनीतिक दुष्परिणाम तो सामने नहीं आएंगे? और क्या ऐसी स्थिति में पाकिस्तान उन्हें झेल पाएगा या नहीं।
'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने लिखा कि इस फैसले से दोनों पड़ोसी देशों के बीच राजनीतिक और कूटनीतिक तौर पर और कटुता आशंका बढ़ गई है।
पाक न्यूज चैनल 'जियो न्यूज' के पत्रकार हामिद मीर ने कहा इस मुद्दे को सीधे आतंकवादी कसाब से जोड़कर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इतना डरा हुआ क्यों है जो पहले से ही भारत की प्रतिक्रिया को लेकर बात कर रहा है। उन्होंने भारत को भी बे वजह सलाह दे डाली कि जैसे पाकिस्तान ने कसाब के मामले में टांग नहीं अड़ाई, वैसे भारत को भी इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली लंदन की एनजीओ एननेस्टी भी पाकिस्तान के फैसले पर आपत्ति जताई है। वहीं, पाक पीएम नवाज शरीफ ने चुप्पी तोड़ी और कहा कि पाकिस्तान किसी भी तरह के खतरे से निपटने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान एक शांतिप्रिय देश है, लेकिन यह उसकी कमजोरी नहीं है। नवाज ने यह भी कहा कि संघर्ष की जगह आपसी सहयोग और संदेह की जगह सदभावना हमारी नीति रही है।