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ये ख़बर बिल्कुल पक्की है और ख़बर ये है कि देश के युवराज और कांग्रेस के सरताज – राहुल गांधी अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने वाले हैं। पांच राज्यों में चुनाव के परिणाम देखने के बाद कांग्रेस का भले ही डिमोशन हुआ हो पर सोनिया गांधी के सुपुत्र का अगर कभी भी कुछ होगा तो प्रमोशन ही होगा।
पार्टी में प्रतिनिधित्व क्षमता की कमी कहें या लोकतंत्र के अंदर का राजतंत्र पर पार्टी के लगभग सभी सदस्य राहुल को आगे करने में नहीं चूकते। अब वो भी क्या करें? उन्हें पता है कि पार्टी उन्हें तो कभी आगे बढाएगी नहीं तो जिसे बढाएगी उसे ही समर्थन दिया जाए, कम से कम आगे ये तो कहने को होगा कि हमने भी राहुल का समर्थन किया था।
सन् 2013 में गांधी परिवार के इस कुलदीपक को उपाध्यक्ष बनाकर कार्यभार सौंपा गया था, परिवार तो यही चाहता था कि लगे हाथ अध्यक्ष ही बना दें पर क्या करें आने वाले सवालों की बौछारों ने इन्हें रोक लिया। अब कांग्रेस के इस लल्ला ने ऐसा कोई काम भी तो नहीं किया था न। तीन सालों में जो भारी उपलब्धि हमारे युवराज को मिली है वो ये कि अब इन्हें भाषण देना आ गया। ज्यादा नहीं तो थोड़ा-बहुत ही सही पर अब ये जवाब देना सीख रहे हैं भले ही उस जवाब में इन्हें चार से पांच बार सॉरी बोलना पड़े। भाषण का असर देखिए कि इन्हें हाल ही में जान से मारने की धमकी भी मिली थी। पुड्डुचेरी में विपक्षी दल इनकी अद्भुत वाक्शैली से अच्छी तरह वाकिफ़ थे और इसलिए किसी ने ख़त के ज़रिए इन्हें रैली संबोधित करने से रोका.. :D ।
अपनी तरफ से इन्होंने मेहनत भी की, हैदराबाद से लेकर जेएनयू तक के खूब चक्कर लगाए पर इन से बड़ा हीरो कन्हैया बन गया। ये हमारे युवराज का दुर्भाग्य ही है कि अपने चहेतों के लाख चाहने के बावजूद अगर इनके आस-पास कोई भी दूसरा विकल्प होता है तो भारत का हीरो वही बन जाता है। खुद भाजपा के भक्त भी कहते हैं कि मोदी सरकार को जीताने का श्रेय जितना किसी भाजपा नेता को जाता है उतना ही राहुल गांधी को भी।
अभी जयराम रमेश जी अपने हिस्से का सारा अर्थशास्त्र और तर्कशास्त्र झोंककर कह रहे हैं कि वे चाहते हैं हमारे युवराज जल्द ही अध्यक्ष बनें। पर्यावरण की इतनी चिंता करने वाले जयराम रमेश को शायद पता चल गया है कि भारतीय पर्यावरण से कांग्रेस लगभग साफ हो गई है इसलिए वो इतना बड़ा रिस्क लेने को तैयार हैं।
राहुल का प्रमोशन देखते हुए सबसे ज्यादा दुःख उन बीटेक के छात्रों को होगा जो चार सालों में 40 सब्जेक्ट्स के पेपर देते हैं, अच्छी डिबेट करते हैं, नुक्कड़-नाटक करते हैं और फिर 15 हज़ार की नौकरी के लिए धक्के खाते-खाते बैंक-एसएससी की तैयारी करने लगते हैं.. उन्हें मौका मिले तो वे राहुल से ज्यादा ही जनता का मनोरंजन भी कर सकते हैं पर वो मनरेगा के लिए बचे रह गए हैं और हमारे युवराज के लिए लोकतंत्र में भी शाही ठाठ है, सिंहासन इनकी प्रतीक्षा कर रहा है।