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70 सालों से राम मंदिर विवादों में है, उम्मीद है मंदिर बन जाने के बाद ये विवाद शीघ्र अति शीघ्र खत्म हो जाएगा। राम मंदिर 'भावना' से जुड़़ा हुआ है उसे जल्दी ही बनना चाहिए। कभी हाई कोर्ट, कभी सुप्रीम कोर्ट के बीच लटके हुए इस मंदिर से बहुत सारी आस्थाएं जुड़़ी हैं, लाखों हिंदुओं की आस्थाएं। उनके अनुसार वहां राम मंदिर हो न हो, मूर्ती हो न हो वो जगह ही पूज्य है। वो जगह हट नहीं सकती। वहीं हिन्दुस्तान के मुसलमानों का कहना है कि मस्जिद जहां एक बार बन गई तो वो क़यामत तक रहेगी। अब इस विवाद को कोर्ट सुलझा नहीं पा रहा क्योंकि ये धार्मिक मुद्दा है।
बात जब धर्म की है तो कोई भी पार्टी समझौता करने से रही। सालों से चल रहे इस विवाद को एक समझौते में कैसे टाला जा सकता है। सालों पहले बाबरी मस्जिद टूटी तो दरारें समाज में पड़ीं। उस दरार को आज तक भरा नहीं जा सका। हिंदुओं और मुसलमानों में खोट थोड़ी और गहरी हो गई।
वैसे तो राम जन्मभूमि मंदिर अयोध्या विवाद पिछले तीन दशकों से भारतीय राजनीति को भी प्रभावित करता है। और आज इस मंदिर और मस्जिद का विवाद पूरी तरह से राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। हालांकि अब राम राज आ चुका है, उम्मीद है मंदिर बन के तैयार हो जाए, हिंदुओं की आस्था और धर्म को चोट न पहुंचे।
वैसे अब 'रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे' का सपना जल्दी ही पूरा होने वाला है। मंदिर के बनते ही देश की बाकि और समस्याएं खत्म हो जाएंगी क्या? देश से गरीबी, आतंकवाद, भुखमरी, अत्याचार, महिला उत्पीड़न जैसी समस्याएं पलायन कर जाएंगी? सपनों का भारत हकीकत बन कर उभरेगा? लड़को और लड़कियों को बराबरी का हक मिलेगा?
इतने सारे सवाल हैं जो मन में उमड़ रहे हैं। अब यूपी के लोगों ने सबका साथ,सबका विकास करने वाली सरकार चुना है, तो उम्मीद है मंदिर बनते ही हम विकासशील देश से विकसित देश में बदल जाएंगे। तभी तो बाकि सारी समस्याओं को दरकिनार कर पहले मंदिर-मस्जिद की बात की जा रही है।
चलिए एक पल को मान लेते हैं कि ये विवाद चल रहा है तो इसे सुलझाना भी जरूरी है, लेकिन उसके बाद साम्प्रदायिक दंगे होने बंद हो जाएंगे क्या? धर्म ने क्या ये बात नहीं सिखाइ कि दूसरों के घर को उजाड़ना अपराध है? ख़ैर... कहीं न कहीं आज भी भारत गुलाम है, यहां के लोग तमाम जंजीरों को तोड़ चुके हैं लेकिन आज भी मंदिर और मस्जिद के विवादों पर अटके हैं।
मसला ये है कि क्या सच में मंदिर बन जाने के बाद जिन तमाम समस्याओं से हम जूझ रहे हैं वो क्या खत्म हो जाएंगी? या यू हीं विकास के नाम पर हमें हमेशा चकमा ही दिया जाता रहेगा।
'गरीबी हटाओ' का नारा इंद्रा गांधी के समय से ही चला आ रहा है। लेकिन भारत के डीएनए में गरीबी की रोपाई हो चुकी है। यहां लाखों लोग आज भी गटर के खाने के भरोसे ही सुबह उठते हैं। इन्हें दरकिनार क्यों किया जा रहा है। क्या गरीबी और भूखमरी छोटे मुद्दे हैं, क्या इतने छोटे मुद्दे हैं कि इन पर ध्यान न जाए? तो पहले इन समस्याओं का हल क्यों नहीं किया जा रहा है।
राम मंदिर आस्था और धर्म से जुड़ा है लेकिन मंदिर बनने से हम लड़कियां सुरक्षित हो पाएंगी क्या? ऐसा नहीं है कि ये सवाल राम मंदिर बनने से ही पैदा हुए, ये सवाल सदियों से देश को घेरे हुए हैं लेकिन इनकी ओर किसी का ध्यान नहीं जाता क्यो?
ख़ैर.. बहुत बहुत बधाई उन देशभक्तों को जो सदियों से राममंदिर बनने का इंतजार कर रहे हैं।