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पद्मावत पर इतने लंबे-चौड़े बवाल के बाद दिल और दिमाग की ट्यूनिंग गड़बड़ा गई है। दिल कहता है कि भाई सीन जबर हैं, इस फिल्म को इसी हफ्ते निपटा दिया जाए लेकिन दिमाग कह रहा कि रुको... धीरज धरो... कुछ दिन में मामला थम जाएगा। लेकिन दिल है कि मानता नहीं। हम जानते हैं कि दिल और दिमाग की इस उठापटक में दिल ही जीतेगा। ऐसे में पद्मावत देखने के लिए लालायित लोगों के लिए फिरकी कुछ ट्रिक्स बता रहा है, कायदे से आजमाएंगे तो फायदे में रहेंगे, नहीं तो किसी वायरल वीडियो में लोगों से पिटते हुए दर्ज किए जाएंगे।
आप फिल्म देखने जा रहे हैं, इस बात की जानकारी अपनी परछाई को भी न होने दे। घर में बताकर जाएं कि जरूरी काम से जा रहा हूं। रास्ते में कोई लिफ्ट मांगे तो भी उससे चर्चा न करें। क्या पता, कौन किसी सेना का सिपाही निकल आए। या क्या पता कौन आप पर अपनी खुन्नस निकालने का बहाना ढूंढ रहा हो।
फिल्म का टिकट खरीदते वक्त पिटने के चांसेज सबसे ज्यादा है। इसलिए ध्यान रहे, टिकट खिड़की के आस-पास भी न भटकें, जिओ सिम से टिकट बुक कराएं, फिल्म के तय समय से थोड़ा पहले पहुंचे और मौका देखकर अंदर हो लें। जितना स्टाइल मारेंगे, पिटने के चांसेज उतने ज्यादा हो जाएंगे। मान लें कि आप किसी वजह से ऑनलाइन टिकट नहीं खरीदना चाहते हैं और किसी तरह टिकट की खिड़की पर कामयाबी पा भी ली, तो टिकट को मोजे में छिपाकर घर से निकलें और फिल्म देखने के बाद तुरंत चबा लें।
देखिए, पिटने से अच्छा है कि कुछ तैयारियां करके जाएं। जेब में करणी सेना जिंदाबाद और संजय लीला भंसाली मुर्दाबाद लिखकर कुछ पर्चियां भर लें, क्या पता फिल्म के बीच में कोई कंटाप धर दे। जैसे ही माहौल खराब होते देखें, पर्चियां जेब से निकालकर... राजपूताना जिंदाबाद के नारे लगाते हुए बाहर निकल जाएं। ध्यान रहे आपका चेहरा किसी को न दिखे, नहीं तो CCTV में खोजकर आपकी गिरफ्तारी भी हो सकती है।
हेलमेट साथ लेकर जाएं, क्योंकि अंधेरे में जब डंडे बजेंगे तो सबसे ज्यादा चोट सिर पर लगने की संभावना है। जैसे ही भीड़ अंदर आते दिखे तुरंत हेलमेट पहन लें। पहचान छिपाने से
लेकर सिर बचाने तक में मदद करेगा हेलमेट। इसलिए बाइक खड़ी करने के बाद हेलमेट लेकर सिनेमा हॉल में जाएं।
अब इतना खतरा है तो इंश्योरेंस भी करवा लें, चोट लगेगी तो खर्चा ज्यादा होगा। घर वालों का भी कॉफिडेन्स बना रहेगा।
जहां भीड़ देखें, वहां से कट लें। ज्यादा भीड़ भाड़ के पास मंडराने की कोशिश न करें, क्योंकि अगर वो भीड़ करणी सेना की हुई तो आपकी कुटाई इस बात पर कर सकती है कि आप
थियेटर के आस-पास भी क्यों भटके, और अगर करणी सेना के लोग वहां नहीं है तो ताका झांकी करते हुए आपको भी करणी सेना का समझ सकते हैं। दोनों ही स्थितियों में कान सुन्न होने की संभावना प्रबल है। इसलिए Stay Away!!
आखिरी और जरूरी बात। बगल वाली सीट पर जो दर्शक बैठा है उससे सीन की तारीफ न करने लगे। क्या पता कोई करणी सेना का सूरमा आपके बगल में बैठे। आप ही को ताड़ रहा हो।