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विश्व का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र महाभारत के धृतराष्ट्र की एक्टिंग कर रहा है। उसे लगता है कि ऐसा करके वह सबको चकमा दे सकेगा। अरे भई कोई इसे समझाओं की आंखें बंद कर लेने का मतलब यह नहीं होता कि बाकी लोगों को भी दिखाई नहीं देता।
अमेरिका ने आतंकी हाफिज सईद के सिर पर एक करोड़ डॉलर का ईनाम रखा है, यह सबको दिखाई देता है। मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड नजरबंदी से रिहा हो गया और पाकिस्तान में खुल्लम खुल्ला केक काटकर जश्न मना रहा है। यह सबको दिखाई देता है।
यह भी सबको दिखाई देता है कि वह खुले आम भारत के साथ साथ अमेरिका को खुली चुनौती देता है कि उसे लादेन की तरह आकर पकड़ ले। लेकिन अमेरिका को न तो दिखाई देता है और लगता है कि न ही सुनाई देता है।
उसे पाकिस्तान से सटे अफगानिस्तान बॉर्डर पर गुफाओं में छिपे हक्कानी आतंकी तो दिखाई देते हैं, और उन पर वह बमों का बाप भी पटक देता है। उसे अशांत अफगानिस्तान, इराक और सीरिया तो दिखाई देते हैं जहां अपनी सेना भेज देता है। उसे यह भी दिखाई देता है कि उत्तर कोरिया का तानाशाह आए दिन उसे मिसाइल से उड़ाने की धमकी देता है और जिसके एवज में अमेरिका चीन से गुहार लगाता है कि वह उत्तर कोरिया को समझाए। लेकिन उसे आतंकी हाफिज सईद नहीं दिखाई देता है।
सबसे शक्तिशाली राष्ट्र का दंभ भरने वाले को समझ लेना चाहिए कि हाफिज सईद की रिहाई अमेरिका की नपुंसकता की दलील है न कि विश्वशक्ति होने की।
अगर अमेरिका को लगता है कि आतंकी के सिर पर महज ईनाम की घोषणा करके वह अपने कूटनीतिक स्किल्स को चमका रहा है तो गलतफहमी पाल रहा है। क्योंकि वह भले ही अनदेखा करने की नौटंकी करे, लेकिन दुनिया को सब दिखाई देता है। वक्त आ गया है कि वह धृतराष्ट्र न बनकर, हाफिज सईद को भी घर में घुसकर उसी तरह मारे जैसे लादेन का मारा था।